आखिर क्यों बिजली के बिल की वजह से फरार हुआ यह डकैत

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यहां हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे डकैत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अब तक की हैं 100 हत्याएं। यही नहीं अन्य कई मामलों में भी यह अपराधी रह चुका है। इस डकैत का नाम है पंचम सिंह। पूर्व दस्यु सरगना पंचम सिंह की तलाश आज फिर से पुलिस कर रही है। यह 70 के दशक का सबसे खूंखार डाकू रहा है। जिसके लिए उसे सजा भी मिल चुकी है, लेकिन एक बार फिर वह फरार है और पुलिस उसको फिर से तलाश रही है। यहां आपको यह बता दें कि इस बार मामला लूट या हत्या का नहीं बल्कि बिजली का बिल न जमा करने का है।

क्यों है यह डकैत फरार –

पंचम सिंह ने एक अखबार को बताया कि लहार कस्बे में मेरा मकान है, जिसको मैंने 35 साल पहले एक सामाजिक संस्था को दान कर दिया था और उस दान का पत्र आज भी मेरे पास है। उस संस्था ने अभी तक उस मकान का बिजली का बिल जमा नहीं किया जो कि उसे ही करना चाहिए था। मकान दान देने के बाद से आज तक संस्था के लोग ही उस मकान में बिजली इस्तेमाल कर रहे थे। अब 2 लाख का बिल आया है तो बिजली विभाग वालों ने मुझ पर कार्रवाई कर दी है। अब जब उस संस्था वालों ने मेरे मकान को आश्रम बना लिया है तो बिल भी उनको ही भरना चाहिए। जब मेरे पास कोई सहारा नहीं रहा तो परेशान होकर मैंने जहर खाकर आत्महत्या का भी प्रयास किया था, पर मेरे गुरु संतोषानंद गिरि ने मुझको ऐसा करने से रोक लिया था।

दूसरी ओर लहार टीआई आसिफ बेग ने बताया कि पंचम सिंह को लेकर अब कोर्ट से स्थाई वारंट जारी हो चुका है और उनकी तलाश जारी है।

कैसा था पंचम सिंह का पिछला जीवन –

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पंचम सिंह करीब 550 डाकुओं का सरदार था और करीब 100 हत्याओं का गुनहगार भी। भारत सरकार ने उस पर 2 करोड़ का ईनाम रखा था। कहा जाता है कि पंचम सिंह जमींदारों के परिवार को सताने पर ही डाकू बना था। बदले की भावना से पंचम सिंह ने 6 लोगों की हत्या सरेआम कर दी थी। 14 साल तक पंचम सिंह का डर बीहड़ के लोगों में लगातार बना रहा, पर उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और लोकनायक जय प्रकाश नारायण की प्रेरणा से उसने अपने 550 लोगों सहित सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।

समर्पण करने के बाद जब पंचम जेल में सजा काट रहे थे तब प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य संचालिका दादी प्रकाश जेल आईं थीं। उन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनौती दी थी कि डाकुओं का मन बदल कर दिखाएं। दादी प्रकाश जेल की प्रेरणा से पंचम सिंह के भी मन में परिवर्तन आया और आज भी पंचम राजयोगी बनकर रह रहे हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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