भारत सरकार बच्चों को शिक्षित करने के लिए तरह तरह की योजनाएं चला रही है। प्रत्येक प्रदेश में इन योजनाओं के तहत बहुत से बच्चे शिक्षित होने का लाभ ले रहें है। लेकिन एक स्कूल ऐसा भी है जहां शिक्षा के नाम पर जो कुछ सिखाया जा रहा है। वह बच्चों के भविष्य को अन्धकार में ले जानें के लिए पर्याप्त है। असल में झारखंड में एक ऐसा स्कूल सामने आया है। जहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह एक सरकारी स्कूल है और यहां पर न तो पढ़ें लिखे शिक्षक हैं तथा न ही पढ़ाने के लिए उपयुक्त संसाधन। आपको बता दें की इस स्कूल में च से चरखा नहीं बल्कि चोर पढ़ाया जाता है। इस स्कूल में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफव भी अमर्यादित सीख दी जा रही है। इस स्कूल के शिक्षक ने बच्चों को पढ़ाया की च से चाचा नेहरू चोर थे और विदेशी भी। शिक्षक पढ़ा रहा है की आदिवासी लोग ही स्वदेशी हैं तथा अन्य सभी विदेशी। इस प्रकार की शिक्षा इस स्कूल में दी जा रही है पर झारखंड का शिक्षा विभाग इस और ध्यान ही नहीं दे रहा है। इस स्कूल की दिनचर्या को जानकर आप खुद ही हैरान रह जाओगे। आइये जानते हैं स चूल की दिनचर्या को।
सुवह होते ही बच्चे जब इस स्कूल में जाते हैं और एक पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं। इसके बाद में एक व्यक्ति अपने हाथ में छड़ी पकडे हुए आता है तथा खुद को शिक्षक बताता है। इसके बाद में वह ब्लैकबोर्ड पर लिखें शब्दों को दोहराता है तथा बच्चों से भी पढ़वाता है। इन शब्दों को जानकर आप हैरान रह जायेंगे। पढ़िए इन शब्दों को।
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1 – अ- अधिग्रहण
2 – ग- ग्राम सभा आदिवासियों का रूढ़ी प्रथा
3 – घ- घंटी बजाने वाला ग्रामीण विरोधी है
4 – छ- छलकपट, ओआईजीएच, लोक छलकपट होते हैं
5 – बी- विदेशी
6 – च- चाचा नेहरू चोरों का प्रधानमंत्री था
7 – ख- खनिज संपदा आदिवासियों का है
इस शब्दों को पढ़ाने वाला शिक्षक किस प्रकार की मानसिकता रखता है तथा कितना पढ़ा हुआ है। वह आप इन शब्दों को पढ़ कर ही पता लगा सकते हैं। खैर अभी भी यह स्कूल ऐसे ही चल रहा है और बच्चे यही शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं।