दुनिया का सबसे खतरनाक कहलाने वाला आतंकी संगठन अलकायदा और आईएसआईएस, जो अपने आतंक के दम पर ना जाने कितने लोगों का खून बहाकर खून की होली खेलता आया है। ना जाने कितने रुपयों की लूटपाट करता रहा है, पर इस लूटपाट की कमाई को ये संगठन कहां खर्च करता है। ये सवाल आपके ज़ेहन में उठ सकता है, तो हम आपको बताते हैं इन आतंक के सरगनाओं की दास्तान कि ये अपनी आतंक की बेहिसाब कमाई को कहां इन्वेस्ट करते हैं।
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आतंकियों का आका ओसामा बिन लादेन अपनी अकूत दौलत को साधारण लोगों की तरह सोने खरीदने में लगाता था। उसकी नज़र में ये सबसे सुरक्षित और मुनाफे का काम था। वहीं आईएसआईएस सरगना बगदादी पैसे को कहीं और इंवेस्ट करने पर भरोसा नहीं करता। वो नकद रखने पर ज्यादा भरोसा करता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की हालिया रिपोर्ट की मानें तो लादेन का भरोसा दुनिया की सबसे भरोसेमंद करेंसी US डॉलर में नहीं था। उसकी बजाय यूरो को वो तरजीह देता था और अपने लोगों को हिदायत भी दे रखी थी कि डॉलर की बजाय यूरो में लेन-देन या निवेश करें।
2010 का एक वाकया इस बात को और पुख्ता करता है। बात तब की है जब 2010 में अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई के एक अफसर को अलकायदा के आतंकियों ने अगवा कर 50 लाख डॉलर की फिरौती मांगी, जो अब करीब 33 करोड़ के बराबर है। आखिर में अफसर को रिहा करने के बदले मिली फिरौती को लादेन ने अलकायदा के जनरल मैनेजर को एक चिट्ठी लिख कर उससे सोना खरीदने और यूरो में लगाने को कहा था।
अलकायदा और आईएसआईएस की कमाई का खुलासा-
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मई 2011 में जब अमेरिकी नेवी सील कमांडोज ने आधी रात को पाकिस्तान के एबटाबाद में लादेन के घर में घुस कर उसे मार गिराया था तब उसके बाद वहां पर मिले दस्तावेजों की पुख्ता जांच की गई। जांच के दौरान पता चला कि लादेन ने अफगान अधिकारियों की रिहाई करने के लिये पर 50 लाख डॉलर की रकम ली थी, जिसे उसने सोने में निवेश करने के निर्देश दिये थे।
दूसरी ओर दुनिया का सबसे खतरनाक और अमीर संगठन आईएसआईएस ने कई तरह के गलत धंधे कर मोटी कमाई की थी। विदेशी नागरिकों को अगवा करने से लेकर बैकों और वित्तीय संस्थानों में लूट कर पैसा इकट्ठा करना इसका पेशा था। आईएसआईएस सरगना बगदादी इन्वेस्ट करने पर भरोसा ना करके पैसों को गोदामों में संग्रहित करता था, जिससे इसका पैसा कई गोदामों में भरा रहता था। कुछ गोदामों को हवाई हमले के दौरान खत्म कर दिया गया था तब भी इस संगठन के पास पैसों की कोई कमी नहीं हुई।