तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के जंगलों में 3 दशक तक वीरप्पन आतंक का दूसरा नाम बना रहा। वीरप्पन अपने समय का एक ऐसा व्यक्ति था जिसे सामान्य आदमी से लेकर पुलिस वाला भी खौफ खाता था। वर्तमान समय में वीरप्पन के जीवन पर एक फिल्म भी बन रही है, जिसका नाम “वीरप्पन” है। इस फिल्म के डायरेक्टर “राम गोपाल वर्मा” हैं पर क्या आप वीरप्पन के असली जीवन से परिचित होना चाहते हैं तो आइये बताते हैं आपको वीरप्पन की असली कहानी को।
वीरप्पन की असल जीवन गाथा –
Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/
वीरप्पन का जन्म 18 जनवरी 1952 को हुआ था, उसका पूरा नाम “कूज मुनिस्वामी वीरप्पा गौड़न” था। वीरप्पन ने अपने जीवन की खौफनाक शुरुआत 18 साल की उम्र में ही कर दी थी, इतनी सी उम्र में ही वह एक अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया था और उसने अवैध रूप से शिकार करना शुरू कर दिया था, इसके बाद वह अपना काम बढ़ाता गया और कुछ ही समय में वह “जंगल के बादशाह” के नाम से जाना जाने लगा, वह हाथी दांत और चंदन की तस्करी बड़ी मात्र में करता था और उससे बहुत पैसा कमाता था। ऐसा भी कहा जाता है की हाथी दांत के लिए उसने कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के लगभग 900 से भी ज्यादा हाथियों की हत्या कर दी थी। रिपोर्ट कहती है कि मात्र 17 साल की उम्र में वीरप्पन ने पहला मर्डर कर दिया था और सिर्फ 10 साल की उम्र में उसने हाथी को मार डाला था।
इसलिए हुई सरकार और पुलिस से दुश्मनी –
Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार वीरप्पन पहले हाथी दांत और चंदन की ही तस्करी करता था पर जब उसके भाई और बहन की हत्या हुई तब से उसकी दुश्मनी पुलिस से हो गई। असल में अपने भाई और बहन की मौत का जिम्मेदार उसने पुलिस को ही मान लिया था। इसके बाद वह पुलिस अधिकारियो और अफसरों का अपहरण करके उनकी हत्या करने लगा, कहा जाता है की उसने अपने जीवन में 184 पुलिस अफसरों और फॉरेस्ट अधिकारियों की हत्या की थी।