पादरी ने धर्म प्रचार के नाम पर किया युवती से दुष्कर्म

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हाल ही में मदर टेरेसा द्वारा स्थापित “मिशनरीज ऑफ चैरिटी” संस्था के रांची स्थित “निर्मल ह्रदय” नामक आश्रम में संचालकों द्वारा बच्चे बेचे जाने का मामला सामने आया था। इस केस में आश्रम संचालकों ने अपने गुनाह को स्वीकार करते हुए बच्चों को पैसे के लिए बेचने के अपराध को स्वीकार कर लिया है। इस घटना के बाद ईसाई समुदाय समेत अन्य लोग भी सकते में आ गए हैं। यह घटना एक पादरी द्वारा दुष्कर्म किए जाने की है। यह घटना पंजाब के फिरोजपुर क्षेत्र से सामने आई है। इस घटना में सामने आया है कि पादरी ने एक 19 वर्षीय लड़की से 20 दिन तक लगातार दुष्कर्म किया था। घटना के प्रकाश में आने पर पादरी तथा उसके अन्य साथियों के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस मामले के बारे में।

पंजाब राज्य की है घटना –

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यह मामला पंजाब राज्य के फिरोजपुर जिले से सामने आया है। पीड़ित लड़की का कहना है कि पॉस्टर गुरप्रीत सिंह पिछले चार पांच साल से उनके गांव में धर्म प्रचार के नाम पर आता रहा है। पास्टर गुरप्रीत लोगों को धार्मिक भाषण देता था तथा लोगों से धर्म के मार्ग पर चलने को कहता था। पीड़ित लड़की का कहना है कि उसने भी पॉस्टर गुरप्रीत सिंह से धर्म का ज्ञान लेने का मन बनाया तथा कई माह तक वह उससे ज्ञान सीखती रही। इसके बाद लड़की की रूचि भी ज्ञान के प्रचार व प्रसार में बढ़ गई।

एक दिन पीड़ित लड़की के घर कुलदीप, बीना, सरपंच देवी तथा लाडी सिंह आये तथा लड़की को धर्म प्रचार करने के नाम पर अपने साथ गाड़ी में ले गए। लड़की का कहना है कि रास्ते में उसको पॉस्टर गुरप्रीत सिंह भी मिला और वह भी कार में बैठ गया। रास्ते में ही पॉस्टर गुरप्रीत सिंह ने लड़की को एक लड्डू खाने को दिया। जिसको खाकर वह बेहोश हो गई। इसके बाद लड़की की आंख चंडीगढ़ के एक मकान में खुली। यहां पास्टर ने लड़की को धमकाया तथा उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया।

पास्टर लड़की को कभी दिल्ली तो कभी बठिंडा रेल से घुमाता रहा और लड़की की बात उसके परिजनों से नहीं कराई। दूसरी और पंजाब में लड़की के परिजनों ने पुलिस में अपनी लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद लड़की के परिजनों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की जिसके बाद में लड़की को ले जानें वाले सभी लोगों पर मुकदमा दायर हुआ है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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