देर रात तक चैटिंग करना बच्चों के लिए है नुकसानदायक

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अगर आपका बच्चा देर रात तक स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करता है तो ये आदत उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। इससे ना केवल उसकी सेहत पर बल्कि पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इस आदत की वजह से पढ़ाई में उसके ग्रेड गिर सकते हैं। साथ ही देर रात तक जागने के कारण वह स्कूल में पूरा दिन आलस महसूस करेगा और जम्हाई लेता रहेगा।

एक नई रिसर्च से यह पता चला है कि बेड पर लेटने के बाद या रूम की लाइट्स बंद होने के बाद भी अगर बच्चा आधे घंटे से ज्यादा वक़्त तक फ़ोन में व्यस्त रहता है, तो सुबह उठने के बाद पूरे दिन बच्चा सुस्त महसूस करता है।

देर रात तक चैट करना या फ़ोन में व्यस्त रहने से उसकी काम करने की क्षमता कम होती है। इस वजह से वह ना तो क्लास में ध्यान दे पाता है और ना ही उसकी रुचि अन्य किसी चीज़ में रहती है।

इतना ही नहीं आलस में रहने के कारण बच्चे पढाई में इतना अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते और उनकी ग्रेड्स में धीरे-धीरे गिरावट आने लगती है। जिससे वह और बच्चों से पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं।

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अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने न्यूजर्सी के तीन स्कूलों में एक रिसर्च किया। इस रिसर्च में करीब 1537 बच्चों को उनके सेक्स, ग्रेड, चैटिंग करने का समय, वह कब चैटिंग करते हैं, सोने से पहले या सोने के बाद, लाइट बंद करने के बाद भी चैटिंग करते है या नहीं जैसे सवालों के जवाब का आंकलन किया गया।

रिसर्चर्स को पता चला कि लाइट्स बंद होने के बाद भी जो बच्चे 30 मिनट से ज्यादा चैट करते हैं, वह बच्चे 30 मिनट से कम समय तक फ़ोन इस्तेमाल करने वाले बच्चों की तुलना में पढ़ाई में कम अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इस रिसर्च में पता लगा कि देर तक फ़ोन पर चैट करने वाले बच्चे कम समय के लिए सोते हैं। इस वजह से वह सारे दिन आलस महसूस करते हैं या जम्हाई लेते रहते हैं। वहीं, जो बच्चे सोने से पहले अपने फ़ोन बंद कर देते हैं उनकी पढ़ाई पर चैटिंग करने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

रटगर्स यूनिवर्सिटी की श्यू मिंग ने कहा कि अगर विद्यार्थी देर से सोएंगे तो देर से जागेंगे। अगर हम अपनी प्राकृतिक दिनचर्या से उल्टा कोई काम करते हैं तो हमारी क्षमता कम होने लगती है। अध्ययन में पता चला कि वैसे तो लड़कियां अधिक फ़ोन पर चैटिंग करती हैं। दिन में भी उन्हें अधिक नींद महसूस होती है, लेकिन फिर भी लड़कियां पढ़ाई में लड़कों से अधिक अच्छा प्रदर्शन करती हैं।

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मिंग के मुताबिक दरअसल टैबलेट या स्मार्टफोन से निकलने वाली रोशनी से अंधेरे में हमारी आंखों पर अधिक जोर पड़ता है। इसलिए नींद आने पर भी परेशानी होती है। इससे हमारा दैनिक रूटीन ख़राब होता है। जर्नल ऑफ चाइल्ड न्यूरोलॉजी में यह रिसर्च प्रकाशित हुई है।

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