हमें अक्सर गैस सिलेंडर से जुड़े हादसे सुनने को मिलते हैं। इन हादसों में जान-माल का काफी नुकसान भी होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर गैस सिलेंडर से जुड़े हादसे किस कारण से होते हैं। आपको बता दें कि ज्यादातर ये हादसे सिलेंडर एक्सपायर डेट के होने के कारण होते हैं। वहीं आपको शायद यह भी पता नहीं होगा कि सिलेंडर से हादसा होने पर 50 लाख का बीमा उस नुकसान की भरपाई के लिए भी मिलता है।
आमतौर पर यह देखा जाता है कि जानकारी की कमी के चलते कई लोगों को यह राशि नहीं मिल पाती। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप इस जानकारी को प्राप्त कर हादसों पर रोक लगा सकते हैं या अगर कभी हादसा हो भी जाता है तो कैसे आप अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए 50 लाख तक का बीमा ले सकते हैं।
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सिलेंडर की एक्सपायरी आप कैसे जान सकते हैं। इसके लिए बता दें कि सिलेंडर पर लगी एक पट्टी पर ए,बी,सी,डी और 13,14,15 कोई लेटर या नंबर की मदद से एक कोड लिखा होता है। वहीं गैस कंपनियां 12 माह को 4 भागों में बांट-कर गैस सिलेंडरों का एक ग्रुप बना देती हैं। जैसे कि ‘ए’ ग्रुप के सिलेंडर जनवरी, फरवरी, मार्च, और ‘बी’ ग्रुप में अप्रैल, मई और जून आते हैं। ऐसे ही ग्रुप ‘सी’ में जुलाई, अगस्त, सितंबर और ‘डी’ में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर आते हैं। जिससे आप आसानी से सिलेंडर की एक्सपायरी को देख सकते हैं। इसके आगे लिखा एक्सपायरी नंबर साल का होता है जैसे A-12 के सिलेंडर का मतलब उसकी एक्सपायरी मार्च 2012 में होती है। वहीं ऐसे ही जान लें कि सी-12 का भी मतलब है कि सितंबर के बाद इस सिलेंडर का इस्तेमाल करना खतरनाक है।
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ऐसे में अगर आपके पास कोई एक्सपायर्ड सिलेंडर आता है तो उपभोक्ता एजेंसी को सूचित कर उस सिलेंडर को रिप्लेस करवाने का काम करवा सकते हैं। अगर एजेंसी ऐसा करने से मना कर देती है तो आप इसकी शिकायत खाद्य या फिर प्रशासनिक अधिकारी से भी कर सकते हैं। अगर इसमें भी आपकी कोई सुनवाई ना हो तो आप उपभोक्ता फोरम में भी इस मामले को दायर कर सकते हैं।
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अभी तक लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी, लेकिन आरटीआई में हुए एक खुलासे में यह साफ हो गया कि गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख का दुर्घटना बीमा हो जाता है। जिसके तहत पीड़ित पक्ष नुकसान की भरपाई के लिए बीमा का क्लेम कर सकता है। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख तक का बीमा देने का भी प्रावधान है। इसके लिए पीड़ित पक्ष को 24 घंटे के अंदर गैस एजेंसी और अपने लोकल थाने में सूचना देनी होती है। साथ ही दुर्घटना होने पर कई जरूर दस्तावेज भी उपलब्ध कराने होते हैं। जिसके बाद क्षेत्रीय एजेंसी इस मामले को बीमा कंपनी को सौंप देती है। इसके अलावा यह बता दें कि आप इन सबको तभी कर सकते हैं जब आपके घर में इस्तेमाल होने वाला सिलेंडर वैलिड हो। साथ ही आप आईएसआई मार्क चूल्हे और एजेंसी से मिले पाइप और रेग्युलेटर का ही इस्तेमाल कर रहे हों। वहीं गैस इस्तेमाल करने वाली जगह पर किसी तरह का कोई बिजली का तार खुला ना हो और चूल्हे को रखने की जगह सिलेंडर को रखने की जगह से ऊंची हो।