इस मंदिर में पूजा के लिए मर्द भी करते हैं सोलह श्रृंगार

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हिन्दू धर्म में जैसा की आप सभी जानते की 33 करोड़ देवी-देवताओं का पूजन होता है। हिन्दू मान्यता के अनुसार सभी सभी देवी देवताओं के नियम कायदे भी काफी अलग-अलग है। वहीं आपने भी अपने देश के कई मंदिरों में देखा होगा कि महिलाओं का प्रवेश वर्जित बता रखा है। जिसको लेकर कई बार सरगर्मियां भी काफी तेज हुई। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में प्रवेश और पूजा के लिए मर्दों को औरत बनना पड़ता है। उन्हें सिर्फ मंदिर में प्रवेश महिलाओं का रूप धारण कर ही मिलता है। महिलाओं के रूप धारण का मतलब यहां पूरे सोलह श्रृंगार से हैं। जिसके बाद ही वो इस मंदिर में पूजा करने के लिए अंदर जा सकते हैं।

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अब आपको इस मंदिर के बारे में बता दें की यह केरल के कोल्लम जिले का कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर है। जिसमें ऐसी पूजा की परंपरा काफी सालों से चली आ रही हैं। जान लें कि साल में 23 और 24 मार्च को चाम्याविलक्कू उत्सव मनाया जाता है। जिसमें अगर मर्दों को इस मंदिर में पूजा करने के लिए जाना है तो उनको सोलह श्रृंगार करके आने पर ही एंट्री मिलती है।

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इस उस्तव का यहां खासा क्रेज है। जिसके लिए मर्द साड़ी पहनकर और सोलह श्रृंगार कर देवी की पूजा कर उनकी अराधना करते हैं। जिसमें वह अपने लिए अच्छी नौकरी, स्वास्थ्य और अपने परिवार की खुशहाली की देवी मां से प्रार्थना करते है। यह उत्सव अब इतना ज्यादा प्रसिद्ध हो गया है कि देश भर में इस उत्सव को लोग इस परंपरा की वजह से ज्यादा जानने लगे हैं।

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मान्यता के अनुसार बताया जाता है की यह एक ऐसा अनोखा मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर ना तो छत और ना ही कोई कलश है। यहां पर देवी मां खुद प्रकट हुई हैं। जिसके पीछे एक कहानी है कि हजारों साल पहले कुछ चरवाहों ने इस जगह पर महिलाओं की तरह तैयार और कपड़े पहनकर फूलों को चढ़ाया था। जिसके बाद उस पत्थर से एक दिव्य शक्ति निकली। जिसे बाद में मंदिर का रूप दे दिया गया। तभी से ये परंपरा यूं ही चली आ रही हैं।

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