रोज़े के दौरान डायबिटीज़ के मरीज़ यूं रखें अपना खास ख्याल

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खुदा की इबादत का महीना, जिसमें खुद को खुदा की राह में समर्पित कर देने वाला और बारह महीनों में मुसलमानों के लिए सबसे खास ‘माहे रमजान’ महीना होता है। बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 9वां महीना रमजान का होता है। जिसे सबसे ज्यादा पाक महीना माना जाता है। माना जाता है की इसी माह में जन्नत जाने के दरवाजें भी खुल जाते हैं। यह महीना काफी बरकतों वाला होता है। इसी प्यार और मोहब्बत बांटने वाले और दुआएं लेने और देने वाले रमजान के पाक महीने की शुरूआत मंगलवार से हो गई है।

इस माह में मुसलमान रोजा रखते हैं और रब की इबादत में अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारते हैं। इसमें सूर्य निकलने से पहले सुहूर और सूर्यास्त होने के बाद इफ्तार से रोजा खोला जाता है। इसके बीच में खाने पीने की मनाही होती है। कुरान के मुताबिक रोजे रखना सभी मुस्लिम बालिग और स्वस्थ लोगों के लिए अनिवार्य होता है। जिसको रखने के बाद मनुष्य अपनी रूह को शुद्ध कर हानिकारक बाहर की अशुद्धियों से दूर हो जाता है।

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हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल के मुताबिक “महीने भर के लिए उपवास करना हमारी शारीरिक प्रणाली के शुद्धिकरण और तन व मन को संतुलित करने के लिए एक अच्छा तरीका है, लेकिन मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की सेहत के लिए भूखा रहना खतरनाक हो सकता। इसके लिए उन्हें डॉक्टर आदि से सलाह के बाद ही रोज़े रखने चाहिए।” उन्होंने कहा कि “स्वस्थ रहकर ही रब की इबादत दिल से की जा सकती है। ऐसे में डायबिटीज़ पेशेंट को चाहिए कि वह अपने स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी सतर्कता बरतें।” साथ ही नीचे दी गई सलाहों पर भी गौर फरमाएं।

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आज हम आपको मेडिकल के आधार पर कई तरह की जरूरी सलाह बताने जा रहे हैं-

  • जान लीजिए कि जिन लोगों को टाइप-1 डायबिटीज़ है उन्हें भूखा तो बिल्कुल भी नहीं रहना चाहिए, क्योंकि भूखे रहने से हाईपोग्लेसीमिया यानि कि लो ब्लड शूगर होने का खतर बना रहता है।
  • आमतौर पर पाए जाने वाले टाइप-2 डायबीटिज वाले लोग रोज़े को रख सकते हैं, लेकिन उन्हें फिर भी हमारी बताई गई सलाहों पर ध्यान रखना जरूरी होगा। जिससे उनकी रोजों के दौरान सेहत खराब न हो।
  • रोजे के समय आपको क्लोरप्रोप्माइड और स्लफोनाइल्योरियस जैसी दवाइयां नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि इससे लंबे समय के लिए अवांछित लो ब्लड शूगर हो सकता है।
  • आप रोजे के दौरान रिपैग्लिनायड,प्योग्लिटाजोन और मैटफोरमिन भी ले सकते हैं।
  • लंबे समय के लिए इन्सुलिन की दवाई जरूरत के हिसाब से लेनी चाहिए। साथ ही शाम को खाना खाने से पहल भी इसे लेना भूलना नहीं चाहिए।
  • डायबिटीज के मरीज का शूगर अगर 70 से कम या फिर 300 तक पहुंच जाए तो उसे चाहिए की वह अपना रोजा तुरंत खोल ले।
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जैसा कि सभी को पता है की रोजों की शुरूआत हो चुकी है। ऐसे में अगर आपने अभी तक अपना डायबिटीज से जुड़ा चेकअप नहीं करवाया है तो जरूर करवा लें। साथ ही पूरे माह नियमित रूप से डायबीटिज की जांच करवाते रहें। जान लें कि इससे आपकी एक तो सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, वहीं इससे आपका रमजान के दौरान का रूटीन भी बना रहेगा।

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