राजस्थान के कोटा में एक 17 साल की लड़की, जिसका नाम तृप्ति त्रिपाठी है उसके सुसाइड का एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे देश का हर मां-बाप जुड़ा हुआ है। तृप्ति तो दुनिया को अलविदा कह गई है, लेकिन अपने पीछे हर माता-पिता के लिए छोड़ गई है एक सबक जिससे देश के हर माता-पिता को सीख लेने की बहुत ज्यादा जरूरत है। अब आप जरूर सोच रहे होंगे कि सुसाइड के केस तो आए दिन आते ही रहते हैं, लेकिन इस केस में आखिर ऐसा क्या खास है तो जान लें कि तृप्ति त्रिपाठी ने इंजीनियरिंग के लिए आईआईटी-जेईई का मेन टेस्ट दिया था। वह पढ़ने में भी काफी होशियार थी। उसने आईआईटी-जेईई के इस मेन टेस्ट को क्वालीफाई भी कर लिया था, लेकिन फिर भी उसने सुसाइड कर लिया, आखिर क्यों ?
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इसका जवाब आप सभी जानना चाहते होंगे तो बता देते हैं कि ये 17 साल की लड़की इंजीनियरिंग को अपना करियर नहीं बनाना चाहती थी, लेकिन उसकी मां का सपना उसे इंजीनियर बनाने का था। उसकी फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स जैसे विषयों में कोई रुचि भी नहीं थी। मां की जिद ने उसे जबरन साइंस लेने को मजबूर कर दिया था, लेकिन माता-पिता के सपने के आगे उसकी एक ना चली और उसने कोटा की एक 5वीं मंजिल की इमारत से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। साथ ही अपने पीछे छोड़ दिया पांच पेजों का एक सुसाइड नोट, जिसमें उसने अपनी इस मजबूरी को बयां किया। यह लड़की वैसे गाजियाबाद की रहने वाली थी, लेकिन कोटा में अपने माता-पिता के साथ रहकर इंजीनियरिंग की तैयारी कर रही थी।
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बता दें कि इस साल कोटा में स्टूडेंट सूसाइड का ये 5वां मामला है। पुलिस के अनुसार छात्रा ने इस हादसे को अंजाम तनाव में दिया। वह इस बात को लेकर काफी ज्यादा तनाव में थी क्योंकि वह इंजीनियरिंग में अपना करियर नहीं बनाना चाहती थी। हादसे के बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल भी ले जाया गया था, लेकिन अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया।
हमारे देश अधिकतर मामलों में माता-पिता की ऐसी जिद देखी जाती है जिसके दवाब को बच्चे नहीं झेल पाते हैं। ऐसे में हम उम्मीद करेंगे कि इस मामले से देश का हर मां-बाप सबक ले और अपने बच्चों को अपने अनुसार उड़ान भरने दे ना कि अपनी जिद और सपनों के चक्कर में उनकी उड़ान पर रोक लगा दें।