बिना पेट्रोल या डीजल के चलेगी यह कार, जल्द आएगी मार्केट में

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क्या आपने कभी किसी ऐसी कार के बारे में सोचा है जो बिना किसी ईंधन के चल सके। यह बात कही जा सकती है कि इस प्रकार की कल्पना करना भी मूर्खता ही है क्योंकि बिना किसी ईंधन के कोई कार कभी नहीं चल पाएगी, पर आज हम आपको एक ऐसी कार के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि वाकई बिना किसी ईंधन की सहायता के चलेगी यानि इस कार में आपको पेट्रोल या डीजल या सीएनजी जैसे किसी ईंधन को डालने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी।

जी हां, यह सच है। असल में IIT काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने एक सोलर कार बनाने का दावा हाल ही में किया है। यह कार सौर ऊर्जा से चलेगी और न सिर्फ यह कार ही चलेगी बल्कि इसका एसी भी सौर ऊर्जा से संचलित होगा। 16 जून को इस कार का परीक्षण IIT काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने किया है, जो कि सफल रहा। जल्द ही यह कार अब मार्केट में भी उतारी जाएगी।

इस प्रकार से चलेगी यह कार –

this vehicle to run with petrol or diesel soon to be launchedImage Source:

प्रो एस.के. शुक्ला और प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. जे.वी. तिर्की इस कार की प्रणाली को बताते हुए कहते हैं कि “अभी कार की इलेक्ट्रिक प्रणाली को सौर ऊर्जा पैनल से जोड़ा गया है। कार की छत पर लगाया गया सोलर पैनल इसकी बैटरियों को ऊर्जा देगा। यह परियोजना (प्रोजेक्ट) टाटा मोटर्स के सहयोग से चलाई जा रही है।”

दूसरी ओर प्रो. शुक्ला ने इस बारे में कहा कि “सोलर पैनल छत पर लगे होने के कारण कार के अंदर गर्मी नहीं होगी। एक बार एसी चलाकर थोड़ी देर बाद बंद कर देने पर कार में काफी देर तक ठंडक बनी रहेगी। यह पैनल सूरज की किरणों से 180 वाट तक ऊर्जा संरक्षित करेगा जो कार को स्टार्ट करने, रात में बल्ब जलाने और पंखे चलाने के लिए पर्याप्त होगा। एसी का ब्लोअर भी इससे चलाया जा सकता है।”

इस प्रकार से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस कार की बैटरी और एसी दोनों ही इस कार के ऊपर लगे सोलर पैनल की वजह से चलेंगे। इस कार से ईंधन की खपत भी बहुत कम हो जाएगी। आज के समय में ईंधन के रेट लगातार बढ़ते जा रहे हैं और पृथ्वी पर भी ईंधन लगातार कम होता जा रहा है।

इस कार को बनाने वाले दल से जुड़े डॉ. तिर्की इस बारे में अपने विचार रखते हुए कहते हैं कि “अभी इतनी ऊर्जा इस पैनल से नहीं मिल रही है कि बिना पेट्रोल या डीजल के कार को चलाया जा सके। हालांकि बाद में सुधार करके उच्च क्षमता वाले पैनलों के जरिये यह भी संभव हो सकता है। इसके लिए कम से कम 400 किलोवाट ऊर्जा की जरूरत होगी।”

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