अंधविश्वास है आपके मन का वहम

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हमारे जीवन में बचपन से कई अंधविश्वास जुड़ जाते हैं। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं वैसे-वैसे यह अंधविश्वास हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं। हम पढ़े लिखे होने के बावजूद पारिवारिक मान्यताओं के कारण इसे मानने पर मजबूर हो जाते हैं। सही मायने में अंधविश्वास निराधार होता है। हमारे देश में अंधविश्वास से जुड़ी हुई कई मान्यताएं प्रचलित हैं। जिनसे हमारे जीवन में कोई विशेष प्रभाव तो नहीं पड़ता, पर हां यह बातें हम बड़ों के डर से मानते ही हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ अंधविश्वासों के बारे में बता रहे हैं।

1- मंगलवार को बाल न कटाना

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कई वर्षों पहले देश में सोमवार को अवकाश होता था। इस दिन अवकाश होने पर सब उसी दिन बाल कटवा लेते थे। इसलिए मंगलवार को कोई ग्राहक न होने के कारण सैलून की दुकानें बंद रहती थी। जिसके चलते कोई भी मंगलवार को बाल नहीं कटवाता था। बस यही बात आज भी देश में अंधविश्वास के रूप में विद्यमान है।

2- घर में छाता न खोलना

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घरों के अंदर अमूमन जरूरी समान रखा होता है। ऐसे में घर के अंदर छाता खोलने से उनके टूटने का डर रहता है। इसलिए कहा जाता है कि घर के अंदर छाता नहीं खोलना चाहिए, लेकिन अब इसे लोग अंधविश्वास से जोड़ कर ही देखते हैं।

3- नींबू और मिर्च

नींबू-और-मिर्चImage Source :http://static.flickr.com/26/

नींबू और मिर्च एक धागे में बांधे जाते हैं। माना जाता है कि इससे निगेटिव एनर्जी दूर रहती है। अब हम बता दें कि इससे नींबू और मिर्च की गंध धागे में आ जाती है और यह धागा घर से मच्छर और कीड़ों को दूर रखता है, लेकिन इसे लोग बुरे प्रभाव, बुरी आत्माओं के घर में प्रवेश न करने से जोड़ लेते हैं।

4- शीशा का टूटना

शीशा-का-टूटनाImage Source :http://img10.deviantart.net/e413/i

कई वर्षों पूर्व शीशे काफी महंगे होते थे। इसके अलावा उनको बनाना भी मुश्किल होता था। इस कारण शीशे को टूटने से बचाने के लिए इसे मान्यता से जोड़ दिया गया। अब लोग सोचते हैं कि शीशा टूटना दुर्भाग्य का सूचक होता है।

5- ग्रहण में गर्भवती महिलाओं का बाहर नहीं निकलना

ग्रहण-में-गर्भवती-महिलाओं-का-बाहर-नहीं-निकलनाImage Source :https://userscontent2.emaze.com/

कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं जाना चाहिए। इस दौरान कोई काम नहीं करना चाहिए, लेकिन इसका सही कारण है कि ग्रहण में यूवी किरणें अधिक रहती हैं और इससे गर्भवती महिला और उसके बच्चे को बचाने के लिए यह मान्यता बनाई गई है।

vikas Arya
vikas Aryahttp://wahgazab.com
समाचार पत्र पंजाब केसरी में पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। कई वर्षो से पत्रकारिता जगत में सामाजिक कुरीतियों और देश दुनिया के मुख्य विषयों पर लेखों के द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहा हूं। अब मेरा प्रयास है कि मैं ऑनलाइन मीडिया पर भी अपने लेखों से लोगों में नई सोच और नई चेतना का संचार कर सकूं।

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