लो जी! अब तक सिर्फ महिलाएं थीं अब तो विज्ञान ने भी पुरुषों को उल्लू बनाया

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पुरुष- महिलाएं

पुरुष और महिलाओं के बीच में यदि समझदारी के बारें में बात करें, तो जाहिर ही है महिलाएं ही ज्यादा समझदार होती है लेकिन इस बात को यदि विज्ञान भी स्वीकार कर ले, तो ये बात शायद पुरूषों को हजम नही हो पायेगी। जीं हां, ये बात पूरी तरह से सही है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों के सोचने समझने की क्षमता काफी कम होती है। ये बात पुरूष तब स्वीकारते है जब उनकी जेब खाली होने की कगार पर होती है।

यदि किसी व्यक्ति या पुरूष की कार्य क्षमता के बारें में बाते करें, तो ज्यादातर लोगों का सोचना भी यही होता है। महिलाओं की अपेक्षा पुरूष ज़्यादा जल्दी मेच्योर हो जाते हैं, इसलिये उनकी कार्य क्षमता भी उनके मुताबिक अलग होती है लेकिन असल में ऐसा सोचना गलत है। दरअसल, हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा एक शोध किया गया। इस शोध में 4 से 40 वर्ष की आयु तक के 121 लोगों को शामिल करके उनके मस्तिष्क की जांच की गई। इस जांच के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं का मस्तिष्क जल्दी विकसित होता है।

इसका मतलब यह है कि महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा जल्दी मेच्योर हो जाती हैं। इस शोध का उद्देश्य ये पता लगाना था कि मैचुरेशन के दौरान कौन सी ऐसी चीज़ होती है, जो बदलती है और कौन सी चीज़ होती है, जो सामान रहती है। जिसमें यह पाया गया कि महिला और पुरुष रोज़मर्रा की जिंदगी में सामान क्षमता से जब कोई कार्य करते हैं। तो महिलाओं की तुलना में पुरुषों काफी धीमी गति से काम करते है।

पुरुष- महिलाएं

 वहीं UNAM में फिजियोलॉजी एंड फार्माकोलॉजी ऑन द फैकल्टी ऑफ मेड्सिन के प्रोफेसर एडुआर्डो कलिस्टो का मानना है कि पुरुषों का दिमाग़ भले ही महिलाओं से बड़ा होता है, लेकिन उनकी कार्य क्षमता के बारें में बात की जाये तो पुरुषों से बेहतर महिलाएं ही होती है। जिसका जीता जागता उदाहरण यह है कि महिलाओं को रंगों और स्वाद की समझ सबसे अधिक होती है।

अब तो पुरूष भी मान चुके होगें कि महिलाओं की बुद्धि उनके घुटनों में नही बल्कि दिमाग में होती है और पुरूषों की..अब आप ही इस आर्टिकल को पढ़कर जान सकते है।

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