दवा और दुआ भी नहीं बचा पाई शक्तिमान की जान

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बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान बीते 14 मार्च को घायल हुए उत्तराखंड पुलिस के घोड़े ‘शक्तिमान’ ने आखिरकार दम तोड़ दिया। इस दुर्घटना के 36 दिनों तक शक्तिमान को बचाने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन 37वें दिन शक्तिमान मौत की जंग को हार गया है। वहीं इसकी मौत से पुलिस महकमे से लेकर हर वो शख्स दुखी है जिसने शक्तिमान को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन शक्तिमान पर इन लाखों लोगों की दुआ और दवा का भी कोई असर ना हुआ। जिसके बाद जिंदगी की जंग को मौत से वह हार गया।

शक्तिमान का इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक पिछले काफी समय से शक्तिमान पर दवाइयों का कोई असर नहीं दिख रहा था। उसने कुछ दिनों से हरकत करना भी छोड़ दिया था। जैसा कि सभी को पता है कि अमेरिका से शक्तिमान के लिए प्रॉस्थेटिक टांग को भी मंगवाया गया था। जिसके बाद डॉक्टरों को उम्मीद थी कि इस टांग को लगाने के बाद शक्तिमान ठीक से दौड़ने लगेगा, लेकिन इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई है।

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इस मामले में सभी को पता है कि बीजेपी विधायक गणेश जोशी पर शक्तिमान के साथ क्रूरता का केस दर्ज हुआ था। हालांकि ये बात भी साफ हो गई थी कि लाठी मारने से शक्तिमान की टांग नहीं टूटी थी बल्कि लोहे के एंगल में फंसकर उसकी टांग टूटी थी। वहीं घोड़े की लगाम खींचने के आरोप में बीजेपी कार्यकर्ता प्रमोद को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। ऐसे में गणेश जोशी जहां अपने आपको बेकसूर साबित करने में जुटे हैं, वहीं अब तक शक्तिमान के आरोपियों पर कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया है लेकिन उसकी मौत के साथ राजनीतिक पार्टियों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जरूर शुरू कर दिया है।

सूबे के मुखिया सीएम हरीश रावत का शक्तिमान की मौत पर कहना है कि-‘शक्तिमान की मौत की खबर काफी दुखद है। मुझे लगता था शक्तिमान जल्द सही होकर फिर दौड़ने लगेगा।’ इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि ‘मैं इस मौके पर सियासत में शामिल होना नहीं चाहता हूं। मैं शक्तिमान की शहादत पर टिप्पणी कर उसकी शहादत को कम नहीं करना चाहूंगा।’

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वहीं बता दें कि इस मामले पर शक्तिमान की मौत की खबर पर गणेश जोशी का बयान भी सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि मैं शक्तिमान की मौत से काफी दुखी हूं, लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। अगर मैं दोषी पाया जाता हूं तो मेरी भी एक टांग काट देना। उत्तराखंड बीजेपी के प्रेसिंडेट अजय भट्ट का कहना है कि इसके लिए सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस जिम्मेदार है। उन्होंने जानबूझकर शक्तिमान का सही इलाज नहीं करवाया। जिसके चलते उसकी मौत हो गई।

शक्तिमान की मौत पर केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी दुख जताया और कहा कि अब घोड़ों को हमारे पुलिस बल का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने शक्तिमान के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करने की बात भी कही। वहीं, अभिनेत्री हेमा मालिनी ने भी ट्वीट कर शक्तिमान की मौत पर शोक व्यक्त किया।

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बता दें की शक्तिमान 13 साल का था और वह 11 साल से पुलिस फोर्स में अपनी सर्विस दे रहा था। शक्तिमान के इलाज के लिए काफी लोगों ने सहयोग दिया था। इस मामले में बीजेपी विधायक गणेश जोशी आरोपी हैं। हालांकि उन पर कोई आरोप साबित नहीं हुआ है, जिसके कारण वह जमानत पर बाहर हैं। ऐसे में अब देखना ये होगा कि अब जब शक्तिमान दुनिया को अलविदा कह चुका है तो उसकी मौत को बाद उसके गुनाहगारों को सजा मिलती है या उसके बाद भी वह बाहर ऐसे ही खुलेआम घूमते रहेंगे।

वहीं इन सब के साथ इस बात पर भी चिंतन किया जाना चाहिए कि किसी जीवित प्राणी की मृत्यु पर शोक प्रकट करना तो मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्तियों में से एक है, परन्तु क्या केवल दुःख या संवेदना का भाव प्रदर्शित करना हमारी मानवता को परिभाषित करता है? आज ‘शक्तिमान’ का जीवन-दीप बुझने से ये प्रश्न और भी प्रासंगिक लगता है। असल में ये मानवता का ह्रास है। हम मनुष्य अपने क्रोध, क्षोभ, ईर्ष्या, शक्ति, पौरुष और दम्भ को साबित करने के लिए मूक पशुओं को शिकार बनाते हैं। मनुष्य की ऐसी अमानवीयता और संवेदनहीनता ने मनुष्यता को कहां ला खड़ा किया है, इसका मूल्यांकन हमें स्वयं करना होगा।

 

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