सुप्रीम कोर्ट ने रेप के आरोपी को मृत होने पर भी सात साल की सजा सुना दी। यह फैसला कोर्ट में विचाराधीन था। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इसी वर्ष अप्रैल में रेप के दोषी को सात साल की सजा सुना दी, जबकि आरोपी व्यक्ति की मृत्यु तीन साल पहले ही हो चुकी है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस गलती को मानते हुए अपने ही फैसले को सोमवार को पलट दिया है क्योंकि कानून के मुताबिक मर चुके आदमी पर कोई कानून लागू नहीं किया जा सकता।
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जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में 2009 में एक रेप पीड़िता ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। सुप्रीम कार्ट ने इस पिटीशन के आधार पर सुनवाई करते हुए आरोपी को नोटिस भेजा। कोर्ट से कई बार नोटिस जाने के बाद भी जब आरोपी न तो पेश हुआ न ही उसकी ओर से कोई जवाब आया तो आरोपी के पेश न होने पर कोर्ट ने उसकी गैर मौजूदगी में ही सुनवाई शुरू कर दी। आरोपी के वकील के तौर पर वंशजा शुक्ला को अप्वाइंट किया गया। दोनों ओर से दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और 10 अप्रैल 2015 को उसे सात साल की सजा सुना दी। जिसके बाद पुलिस आरोपी को पकड़ने उसके घर पहुंची तो पता चला कि आरोपी की 2012 में ही हत्या कर दी गई है। पुलिस ने दोषी के डेथ सर्टिफिकेट की कॉपी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सामने पेश कर दी। अब हाईकोर्ट की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी.सी. घोष और जस्टिस आर. के. अग्रवाल की बैंच ने मर चुके आदमी की सजा खारिज कर दी है।
क्या था मामला-
छत्तीसगढ़ के एक मूक बधिर आदमी पर साल 2006 में एक नाबालिग से रेप का आरोप लगा था। ट्रायल और हाईकोर्ट ने उसे सबूत न होने की वजह से बरी कर दिया था, क्योंकि पीड़ित लड़की की शिकायत के बावजूद पुलिस आरोपी की पहचान नहीं कर पाई। लड़की ने साल 2009 में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने पिटीशन पर सुनवाई करते हुए आरोपी को नोटिस जारी किया। कई बार समन भेजे जाने के बावजूद आरोपी न तो पेश हुआ और न ही उसने कोई जवाब ही दिया।