धर्म शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा एक ऐसा खास दिन है जिसमें आपको चांद की रोशनी से अमृत तत्व प्राप्त हो सकता है। मान्याताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा में ही चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है और धरती पर अमृत की वर्षा करता है। साथ ही इस दिन चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर का सेवन करने की प्रथा है। वर्षा ऋतु की जरावस्था और शरद ऋतु के बाल रूप का यह सुंदर संजोग हर किसी का मन मोह लेता है।
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इसी दिन पृथ्वी पर आने वाले श्री कृष्ण भगवान ने महा रास का आयोजन किया था। उस रास में जितनी गोपियां थी, उन हर गोपियों के साथ एक कृष्ण मौजूद थे। इस अवसर पर कोजागौरी लोक्खी (देवी लक्ष्मी) की पूजा भी की जाती है। पूर्णिमा दिन में कभी भी शुरू हो पर कोजागौरी की पूजा बारह बजे के बाद शुभ महुर्त पर ही की जाती है।
इस बार की शरदपूर्णिमा में प्रेम पाने के लिए उपाय-
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इस बार की शरदपूर्णिमा में आपको प्रेम पाने के कुछ उपाय करने होंगे। इसके लिए आपको शरद पूर्णिमा की रात्रि पर भगवान कृष्ण और राधा जी मूर्ति के आगे बैठकर उन्हें गुलाब की माला भेंट करें। भगवान से कामना करें कि इस पूर्णिमा पर आपको प्रेम के देवता श्री कृष्ण प्रेम का आर्शीवाद प्रदान करें, लेकिन इसके लिए आपको अपनी प्रेम की स्वच्छ कामना करनी होगी। किसी का संबंध तोड़ कर अपने प्रेम की कामना करना गलत होगा। इसलिए सही सोच के साथ ही प्रेम पाने की कामना करें। अगले दिन उसी गुलाब की माला कृष्ण और राधा जी की प्रतिमा से निकाल कर किसी साफ कपड़े पर रखकर आलमारी में रख दें। इतना करने से ही आपको अपना मनचाहा प्रेम मिल जाएगा।
लक्ष्मी के प्राप्ति के लिए-
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शरद पूर्णिमा की रात पूरे वर्ष में एक खास रात होती है। जिसमे मां लक्ष्मी को पाने के लिए किए गए उपाय बेहद कारगर होते हैं। इस दिन लक्ष्मी जी के आगे सफेद कपड़े पहनकर बैठ जाए और मां लक्ष्मी के समक्ष लाल गुलाब अर्पित करें या महिलाएं उन्हें लाल फूल की माला चढ़ाए। इसके बाद मां लक्ष्मी का ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालए प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का तीन माला जाप करें। इससे पूरे वर्ष धन की कमी नहीं होगी, लेकिन यह जाप कमल गट्टे की माला से किया जाना सर्वोत्तम माना जाता है।
रोगों से भी मिलेगी मुक्ति-
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ऐसा माना जाता है कि इस अवसर पर वैद्यों द्वारा दवाइयां बनाने का काम किया जाता था। इस शुभ महुर्त पर बनी औषधियों का प्रभाव भी दोगुना हो जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को चांद को जल चढ़ाने मात्र से ही शरीर के रोगों का नाश होता है। साथ ही जिन बीमारियों को होने की अंशका रहती है, वो भी समाप्त हो जाती हैं।
इस दिन खीर को चंद्रमा की रोशनी पर रखकर अगले दिन खाने का रिवाज है। दरअसल इससे जुड़ी एक कहानी भी है। जिसमें एक महिला अपने पु़त्र को शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखती है और उसका पुत्र जीवित हो जाता है। तभी से खीर खाने की प्रथा चली आ रही है।