इस “मौत के सौदागर” के नाम पर दिया जाता है “नोबेल पुरस्कार”, जानें इसके बारे में

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नोबेल पुरस्कार का डंका हर साल बजाया जाता है, जिसके बाद भारत सहित दुनिया के सभी लोगों की आंखें अपने-अपने देश के उन लोगों की ओर लग जाती है, जिनको नोबेल मिलने की संभावना बनती हैं। खैर, हालही में मध्यप्रदेश के कैलाश सत्यार्थी को यह पुरस्कार मिला था, साथ ही पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को भी यह पुरस्कार दिया गया था। जानकारी के लिए आपको यह बता दें कि यह पुरस्कार साइंस, केमिस्ट्री, मेडिकल साइंस या फिज़ियोलॉजी, लिटरेरी वर्क जैसे अन्य कार्यो में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए दिया जाता है। देखा जाए तो यह पुरस्कार दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है, पर शायद आप नहीं जानते होंगे कि यह पुरस्कार आखिर दिया किस व्यक्ति के नाम पर जाता है, इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं, उस व्यक्ति के बारे में जिसके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है।

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किसके नाम पर दिया जाता है नोबेल पुरस्कार –
नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिक एल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है, ये स्वीडन में पैदा हुए थे और इनके पिता का नाम इमैनुएल नोबेल था, जिनको आधुनिक प्लाईवुड का जनक कहा है। इमैनुएल नोबेल एक इंजीनियर थे, इसलिए एल्फ्रेड नोबेल को भी अपने पिता से इंजीनियरिंग के गुर बचपन से ही सीखने को मिले थे। एल्फ्रेड नोबेल को “एक्स्प्लोसिव्ज़” बनाने में बहुत रूचि थी। उनका फेवरेट सब्जेक्ट बचपन से ही केमिस्ट्री रहा था, एल्फ्रेड नोबेल ने कई भाषाएं सीखी थी और अमेरिका में अपनी पढ़ाई के दौरान भी, वे होनहार छात्र रहें थे, जो की लगातार प्रयोगों में व्यस्त रहते थे। खैर, पढ़ाई के बाद में 1867 में एल्फ्रेड नोबेल ने “डाइनामाईट” की खोज कर ली थी, पर क्या आप सोचते हैं कि डाइनामाईट की खोज का मानव जाति के विकास में कोई योगदान रहा है, क्या आप सोचते है की “डाइनामाईट” की खोज करने वाले व्यक्ति के नाम पर “शांति” तथा विज्ञान के क्षेत्रो में पुरूस्कार देना उचित है। डाइनामाईट की खोज ने कितने लोगों को मौत की गहरी नींद सुला दिया। इसके बारे में आप कभी अकड़ा लगाए और विचार करें की नोबेल पुरुस्कार किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर देना कहां तक उचित है, जो मौत के सामान को अपना पारिवारिक बिजनेस बनाना चाहता था।

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