भगवान शिव ने यहां पर खोला था अपना तीसरा नेत्र, आज भी खौलता है यहां का चमत्कारी पानी

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हिन्दू धर्म से जुड़ी ऐसी कई घटनाएं है जिसके प्रमाण आज भी हमारे पास मौजूद है, जो उस समय की घटनाओं को सत्य सिद्ध करती है। इन्हीं प्रमाणों में से एक है हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण में बना एक कुंड, जिसके बारे आज भी वैज्ञानिक कोई सही जानकारी एकत्रित नहीं कर पाए है। यह वो कुंड है जहां पर भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी।

जानिए आखिर क्या है इस कहानी से जुड़ा रहस्य…
हिमालय की गोद में बसा कुल्लू, जिससे 45 किमी दूर है मणिकर्ण। इसके बारें में कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने रूष्ट होकर अपने तीसरे नेत्र को खोला था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार किसी समय इस जगह पर मां पार्वती अपनी सखियों के साथ स्नान करने पहुंची थी। नदी में तैरते समय उनके कान का मणिरूपी कमंडल पानी में गिरकर बह गया और वह बहते हुए पालात लोक जा पहुंचा। जिसे ढूंढने के काफी प्रयास किए गए पर शिव-गणों को वह मणि नहीं मिली। जिससे भगवान शिव काफी क्रोधित हुए और इसी दौरान उन्होंने अपने क्रोध से अपनी तीसरी आंख खोल दी। तीसरे नेत्र के खुलते ही उनके नेत्रों से नैना नामक देवी का जन्म हुआ। उसी के बाद से यह जगह नैना देवी के नाम से जानी जाती है।

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इन्हीं नैना देवी ने पाताल लोक जाकर शेषनाग से मणि को वापस देने को कहा। इनकी बात को मानकर शेषनाग ने शिव जी को इस मणी के साथ और भी कई मणिया भेंट में दी। जिससे शिव प्रसन्न हो जाए। तब भगवान शिव ने देवी पार्वती की उसी मणि को ग्रहण किया, जो उनकी थी। बाकि सभी मणी को उसी नदी में प्रवाहित कर दिया था, जो आज भी वहां पत्थर के रूप में मौजूद हैं।

गर्म पानी का स्रोत
भगवान शिव के क्रोध से बनी गर्म पानी की जलधारा के बारे मे कहा जाता है कि यहां का पानी इतना गर्म होता है कि इसके पानी में यदि कच्चे चावलों को रख दिया जाए, तो वो आसानी के साथ पक जाते है। इस पानी में कोई भी अपनी हाथ नहीं डाल पाता। इस बारे काफी रिसर्च की गई है कि आखिर ये गर्म पानी आता कहां से है, पर भगवान शिव का ये चमत्कार आज भी रहस्य ही बना हुआ है।

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