आज सुबह गाजियाबाद के कौशाम्बी में स्थित होटल रेडिसन ब्लू के पास अचानक चारों ओर धुएं के काले बादलों ने अंधेरे की चादर ओढ़ ली। चारों ओर धुएं से घिरे होने के कारण लोग दहशत में आ गए। इस नजारे को देख ऐसा लगा कि कहीं भीषण आग लगी हो और आस-पास का कोई क्षेत्र इसकी चपेट में आ गया हो, लेकिन कुछ देर बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह कहीं लगी आग का धुआं नहीं बल्कि फैक्ट्रियों की चिमनी से निकलने वाला जहरीला धुआं था, जो प्रदूषण फैलाकर पूरे शहर को अपने आगोश में लेने को तैयार था।
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ऐसे में यह बात गौर करने वाली है कि इस तरह ना जाने कितनी फैक्ट्रियां इस तरह के जहरीले धुएं को रोज फैलाती हैं। औद्योगिक क्षेत्रों के लिए तो यह बात आम हो चुकी है, लेकिन इसे देख कर भी पुलिस, प्रशासन बेसुध होकर गहरी नींद सो रहा है। सब कुछ जानते हुए भी इन स्थितियों को नज़रअंदाज करने के पीछे वजह यही है कि ये अधिकारी खुद नोटों की चादर में अपने आपको छुपा चुके हैं। एक तरफ इवन-ऑड के नाम पर प्रदूषण को रोके जाने की बात की जा रही है, तो दूसरी ओर ना जाने कितनी फैक्ट्रियों का उड़ता धुआं चारों ओर प्रदूषण को फैलाकर लोगों को अपने आगोश में लेकर उन्हें जहर दे रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ ना तो सरकार कुछ कर पा रही है और ना ही ऊंचे पद पर बैठे आलाअधिकारी।
देश की जनता के सामने यह बस एक प्रश्न ही बनकर रह गया है कि आखिर इस प्रदूषण का जिम्मेदार है कौन? इस मामले में कार्रवाई करने के लिए आलाअधिकारियों, पुलिस या सरकार की नींद कब टूटेगी। कब इस प्रकार के संकट से उबरेगा हमारा शहर और लोगों को मिलेगा साफ सुधरा वातावरण।