कसार देवी मंदिर – इस स्थान पर सर्वप्रथम प्रकट हुई थी देवी दुर्गा, नासा भी नही सुलझा पाया यहां के रहस्य को

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मां दुर्गा की उपासना हिंदू धर्म के शाक्त सम्प्रदाय में प्रमुख रूप से की जाती है, पर क्या आप जानते हैं कि मां दुर्गा आखिर किस स्थान पर सबसे पहले प्रकट हुई थी। यदि नहीं तो आज आपको हम इस आलेख में उस स्थान से ही रूबरू करा रहें हैं, जहां पर देवी दुर्गा ने सबसे पहले प्रकट होकर जन्म लिया था। आपको बता दें कि यह एक शक्तिपीठ है जिसका नाम “कसार देवी मंदिर” है। यह शक्तिपीठ उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह अल्मोड़ा से करीब 10 किमी की दूरी पर है। इस स्थान की अपने आप में बहुत सी विशेषताएं हैं। आपको यह भी बता दें कि इस स्थान के बारे में नासा के वैज्ञानिक लंबे समय से शोध कर रहें हैं, पर अभी तक वे इस स्थान के रहस्य को नहीं जान पाए हैं। वैज्ञानिको का मानना है कि इस स्थान पर इंग्लैंड के स्टोन हेंग तथा अमेरिका के माचू-पिच्चू जैसी ही अदभुत चुंबकीय शक्ति है।

देवी कात्यायनी के रूप में यहां मां दुर्गा ने लिया था अवतार –

Kasar Devi Temple, the place where goddess durga appeared for the first time. Even nasa failed to solve the mystery 1image source:

पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि देवी दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नामक 2 राक्षसों का वध करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि यही वह स्थान है जहां पर मां दुर्गा ने देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। इस स्थान के लोग देवी कात्यायनी को “कसार देवी” के नाम से जानते हैं। इस मंदिर में पहुंचने के लिए आपको बड़ी संख्या में सीढ़ियां चढ़नी होती हैं क्योंकि यह मंदिर पहाड़ पर स्थित है। आपको जानकर हैरानी होगी की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में लोग बिना थकान के आसानी से पहुंच जाते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसका कारण मंदिर के आसपास के क्षेत्र में फैली चुंबकीय शक्ति है।

स्वामी विवेकानंद को यहीं मिला था ज्ञान –

Kasar Devi Temple, the place where goddess durga appeared for the first time. Even nasa failed to solve the mystery 2image source:

यह स्थान चुम्बकीय शक्तियों से परिपूर्ण है। यही कारण है कि यह स्थान ध्यान के लिए बहुत सही और स्टीक है। आपको बता दें कि इसी स्थान पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान कर आत्म ज्ञान को पाया था। 11 मई 1897 को स्वामी विवेकानंद ने अल्मोड़ा में दिए गए अपने एक प्रवचन में हिमालय में एक ध्यान केंद्र स्थापित करने के लिए कहा था। इसके बाद उनके शिष्य स्वामी तुरियानंद और स्वामी शिवानंद ने अल्मोड़ा के ब्राइट एंड कार्नर पर एक ध्यान केंद्र की स्थापना की थी जिसका नाम “रामकृष्ण कुटीर” है।

कसार देवी मंदिर के आसपास का क्षेत्र हिमालयी दिव्य चेतना से भरा हुआ है। इस स्थान पर देश और विदेश के बहुत से पर्यटक आते हैं। यहां तक की कुछ विदेशी पर्यटक इस स्थान की ख़ूबसूरती को देख कर यहां पर अपना अस्थाई आवास बना कर भी रहते हैं। आप भी अगर कभी उत्तराखंड के अल्मोड़ा जाएं तो कसार देवी मंदिर में जरूर जाएं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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