‘एयरलिफ्ट’ के रंजीत कत्याल ही नहीं, यह भी थे असली हीरोज़

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आपने कुवैत-इराक युद्ध (1990) पर बनी फिल्म एयरलिफ्ट तो देखी होगी, जिसमें अभिनेता अक्षय कुमार ने रंजीत कत्याल का रोल निभाया था। वो रंजीत कत्याल जिसने 1.70 हजार लोगों को एयरलिफ्ट करवाने में काफी साहस दिखाया, लेकिन आपको बता दें कि असल में सिर्फ रंजीत कत्याल ही नहीं और भी ऐसे लोग थे जिन्होंने उन लोगों को बाहर निकालने के लिए असली मिशन एयरलिफ्ट को अंजाम दिया था। आज हम आपको एयरलिफ्ट के असली हीरोज के बारे में बताने जा रहे हैं।

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कै. विजय नायर

भारतीय लोगों को अमान (जॉर्डन) से भारत लाने वाले एयर इंडिया के 3 ऑफिसर्स में से एक कै. विजय नायर भी थे। जिन्होंने उस वक्त लोगों को वहां से निकालने का साहस दिखाया।

माइकल मास्करेन्हास

माइकल मास्करेन्हास उस वक्त गल्फ और मिडिल ईस्ट में एयरलाइंस के रीजनल डायरेक्टर थे। उन्होंने दो डिप्टीज के साथ मिलकर एयरलिफ्ट ऑपरेशन की पूरी कमान को संभाला था।

इंडियन एम्बेसी के अधिकारी

इस ऑपरेशन में इंडियन एम्बेसी के अधिकारियों का भी काफी अहल रोल रहा। ये अधिकारी रोजाना वहां के लोकल बस प्रोवाइडर्स से संपर्क साधते थे। साथ ही रिफ्यूजी को बसरा, बगदाद और अमान होते हुए 2000 किमी. दूर पहुंचाते थे। बता दें कि इस काम में रोजाना करीबन 80 बसें लगती थीं।

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टोनी जशनमाल (जशनमाल नेशनल कंपनी के CEO)

टोनी जशनमाल उस कमेटी के हेड थे जो उस वक्त वहां पर फंसे भारतीय लोगों को खाना प्रोवाइड कराती थी। वह रोजाना जॉर्डन से भारत आने वाली 15 से 16 फ्लाइड को को-ऑर्डिनेट भी करते थे। टोनी का कहना था कि उस वक्त कुछ दिन तक तो लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में इंडियन बिजनेस काउंसिल दुबई ने हमारी काफी मदद की।

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के टी बी मेनन

भारतीय डिप्लोमेट के टी बी मेनन कुवैत के सबसे अमीर आदमियों में से एक हैं। वह भारत से कुवैत जाने वाले तीसरे भारतीय थे जिन्होंने उस वक्त भारतीय लोगों की मदद की जब उन्हें वहां से निकालने के लिए फाइनेंस की दिक्कत आ रही थी। उन्होंने उस वक्त कहा कि वह इन लोगों को निकालने के लिए पेमेंट करने को तैयार हैं। हालांकि अब वह हमारे बीच नहीं रहे और हमें पता भी नहीं कि भारत सरकार ने कभी उनका सम्मान किया भी या नहीं, लेकिन बता दें कि के पी फेबियन जो कि उस समय भारतीय डिप्लोमेट थे उन्होंने इंडियन फॉरेन अफेयर्स जर्नल (जनवरी-मार्च 2011) को के टी बी मेनन के बारे में जानकारी दी थी।

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इंद्र कुमार गुजराल

इंद्र कुमार गुजराल के बारे में तो आप जानते ही होंगे। यह उस वक्त भारत के विदेश मंत्री थे। उन्होंने और गल्फ डिवीजन के हेड के पी फेबियन ने सद्दाम हुसैन से मुलाकात कर वहां पर मौजूद भारतीय लोगों को निकालने के लिए हेल्प मांगी थी। फेबियन ने बताया कि “जब हमने सद्दाम हुसैन के सामने अपनी सारी बातें रखीं तो उन्होंने उसे गौर से सुना और हेल्प के लिए राजी भी हो गए।” बता दें कि विदेश मंत्री के बेटे ने ही इस रेस्क्यू ऑपरेशन का ब्लू प्रिंट रेडी किया था। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय को यह भी पता था कि इराक के पास खाद्य आपूर्ति के लिए पूरा खाना नहीं है। इसलिए वह भारतीय लोगों को सुरक्षित जॉर्डन पहुंचाने के लिए राजी हो गया।

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के पी फेबियन

उस वक्त के पी फेबियन गल्फ डिवीजन MIA के ज्वाइंट सेक्रेटरी थे, जो इवैकुएशन में लगे सभी लोगों से रोजाना को-ऑर्डिनेट करते थे। उन्होंने खासतौर पर पर्सनली एयरइंडिया के क्रू को मोटिवेट करने का जिम्मा भी उठाया था।

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सनी मैथ्यू

आपने ‘एयरलिफ्ट’ को अगर ध्यान से देखा है तो आपको पता होगा कि डायरेक्टर राजा कृष्ण मेनन ने रंजीत कत्याल का किरदार कहां से लिया। आपको बता दें कि फिल्म में रंजीत कत्याल का किरदार सनी मैथ्यू और हरभजन बेदी से प्रेरित है। मैथ्यू की पोती ने एफबी पर अपने दादा जी के बारे में बताया था कि उनके दादा जी ने कई भारतीयों को ट्रांसपोर्ट अरेंज कराने के साथ-साथ कुछ पैसा भी दिया था, जिससे कि वह रास्ते में अपनी जरूरतों को पूरा कर आराम से जा सकें।

वहीं उस वक्त कुवैत में इंडियन एम्बेसी के अधिकारी रहे अशोक कुमार सेन गुप्ता ने भी सनी मैथ्यू के बारे में बताया कि मैथ्यू का गल्फ वॉर के दौरान भारतीयों की निकासी में काफी अहम रोल था।

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हरभजन सिंह बेदी

वैसे तो हरभजन सिंह बेदी एक आर्किटेक्ट थे, लेकिन गल्फ वॉर के दौरान वह कई कुवैत प्रोजेक्ट्स के एडवाइजर्स और सत्तारूढ़ फैमिली अल सबाह के काफी करीब थे। विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने उन्हें भारतीय लोगों के पासपोर्ट, ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स साइन और जारी करने की स्वतंत्रता दी थी। कुछ रिपोर्ट्स के आधार पर मानें तो उन्होंने भारतीयों की निकालने के लिए एक 51 सदस्यों की अनऑफिशियल कमेटी भी बनाई थी। हालांकि अब वह भी हमारे बीच नहीं रहे। 4 साल पूर्व उनका निधन हो चुका है।

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