जीवन – प्राचीन शास्त्रों की ये बातें मानेंगे तो भविष्य के संकटों से बचे रहेंगे

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प्राचीन शास्त्रों में कुछ बातें ऐसी भी लिखी हुई है जो आपको भविष्य के संकट से बचा सकती है। जैसा की आप जानते हैं कि जीवन में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। कभी मानव सुख का अनुभव करता है तो कभी दुःख का। इस प्रकार के परिवर्तन जीवन में कुछ बातों का ध्यान न रखने के कारण आते हैं। पुराने शास्त्रों की ये बातें उन छोटे छोटे संकेतों को बताती है जिसके कारण आप भविष्य के दुःखद अनुभवों से बच सकते हैं और अपने जीवन को सही और सुखद स्थिति में रख सकते हैं। आइये जानते हैं शास्त्रों में बताएं इन संकेतों के बारे में।

1 – भविष्य की बिमारी –

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यदि आप नहीं चाहते कि आप भविष्य में किसी प्रकार की बिमारी का शिकार हों तो इसके लिए आप रात को सोते समय एक गिलास पानी को रख दें और सुबह उठकर उसको पिए तथा इसके बाद में अपने हाथों की दोनों हथेलियों को देखें। इस प्रकार की आदत आपको भविष्य की बिमारी से छुटकारा दिलाएगी।

2 – घर में चीटियों का दिखाई पड़ना –

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यदि आप अपने घर में चीटियों को दाना इकठ्ठा करते देखते हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। असल में प्रकृति का यह संकेत आपके घर में किसी के बीमार होने या कुछ बुरा होने का संकेत होता है। इसके अलावा यदि चींटियां लाइन से चलती हुई दिखाई पड़ती है तो यह तेज बारिश होने का संकेत होते है। अतः इस समय घर से बाहर किसी लंबे सफर पर न निकलना सही रहता है।

3 – पेड़ पर बैठा बगुला –

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यदि आपको किसी पेड़ पर बगुला बैठा दिखाई दे तो उस पेड़ के नीचे कभी बरसात में खड़ा नहीं होना चाहिए। असल में यह संकेत उस पेड़ पर बिजली गिरने का होता है। बहुत से लोग बरसात में ऐसे पेड़ के नीचे खड़े हो जाते हैं और खुद को हानि पंहुचा लेते हैं।

4 – त्यौहार के दिन –

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भारत त्योहारों का देश है। देखा जाए तो अपने देश में प्रति माह कोई न कोई उत्सव चलता ही रहता है, पर अपने देश में मुख्य त्योहारों के बारे में कुछ विशेष संकेत किये गए हैं। प्राचीन शास्त्रों में यह बताया गया है कि जिस वर्ष होली, लोहड़ी तथा दीपावली के त्यौहार शनिवार, रविवार और मंगलवार के दिन पड़ते हैं वह वर्ष देश के लिए अच्छा नहीं होता है। ऐसे वर्ष में भीषण बिमारी अथवा माहमारी फैलने की बड़ी संभावना होती है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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