शादी के बाद एक महिला अच्छी पत्नी के दायित्वों का निर्वहन करने के बाद जब मां बनने के लिए आगे कदम बढ़ाती है तो गर्भावस्था का समय उसके जीवन का सबसे सुखद अनुभव वाला होता है। हर महिला अपना बच्चा सुंदर और स्वस्थ चाहती है, जिसके लिए वो लाखों सपने अपनी आंखों में संजोए हर पल को अपने आंचल में समेटे महसूस करती है।
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गर्भावस्था के सुखद और सुंदर पहलू का आंनद आप तभी उठा सकती हैं जब गर्भावस्था के दौरान आप और आपका बच्चा स्वस्थ रहे और यह तभी हो सकता है जब गर्भवती महिला कुछ बातों पर अमल करे। यह देखा गया है कि गर्भावस्था के शुरू के तीन महीनों में कई महिलाओं को जी मचलाने या उल्टी आने की शिकायत होती है। इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ बातों का ध्यान दें। सुबह बिस्तर से उठने से पहले ही बिस्किट खा लें। थोड़ी बहुत चाय-कॉफी और हल्का खाना, फल, सलाद खाते रहें। बच्चे के समुचित विकास के लिए मां की खुराक में ज्यादा कैलोरी, प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम आवश्यक है।
गर्भावस्था के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
संतुलित आहार का सेवन करें-
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ज्यादातर महिलाएं इन दिनों में अपने खान-पान पर विशेष ध्यान नहीं रख पातीं। जिससे उनके शरीर में लौह तत्व की कमी से एनीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, सलाद खाना आवश्यक है। इसके साथ ही खाने में प्रोटीन की आपूर्ति के लिए दाल और अंकुरित अनाज भी खाना आवश्यक है। सोयाबीन भी प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है। कैल्शियम के लिए आहार में रोज प्रचुर मात्रा में दूध, दही या मट्ठा होना चाहिए।
पूरी नींद लें-
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गर्भावस्था के दौरान समय पर खाना और अपने शरीर को पूर्ण रूप से आराम देने के लिए आपको पूरी नींद का लेना बहुत जरूरी है। हर गर्भवती महिला को अपने शरीर का पूरी तरह से ध्यान देना चाहिए। नींद पूरी हो सके इसके लिए रात में कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लेना चाहिए और इसके साथ ही दिन में भी एक-दो घंटे का आराम समय-समय पर लेना जरूरी होता है।
ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं-
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गर्भावस्था के समय शरीर में पानी की कमी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। अपने शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी होता है। इसलिए दिनभर में कम से कम आठ गिलास पानी जरूर पिएं। साथ ही घर में नारियल का पानी व फलों का जूस बना कर भी नियमित अंतराल पर पीती रहें। बाहर का जूस या पानी आदि न पिएं। इंफेक्शन से दूर रहें।
थोड़े-थोड़े अंतराल पर खाएं-
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गर्भावस्था के दौरान खाने के लिए किसी भी प्रकार के नखरे ना करते हुए अपनी और होने वाले बच्चे की तंदुरुस्ती के लिए भरपूर पोषण युक्त डाइट लें, क्योंकि उस समय आप का खाया हुआ आहार आपके लिये ही नहीं, बल्कि आपके बच्चे के लिए भी होता है। इसलिए खाने में किसी भी प्रकार की कमी नहीं करनी चाहिए।
धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें –
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कहते हैं कि बच्चे की पहली पाठशाला उसकी मां होती है और जब बच्चा गर्भ में पल रहा होता है तो हमें अपने आचार-विचार भी बदल लेने चाहिए, क्योंकि इसका सीधा असर हमारे बच्चे पर पड़ता है। इन दिनों में हमारा रहन-सहन, खान-पान, बोल-चाल यहां तक कि हमारी सोच का असर भी हमारे बच्चे पर पड़ता है। इसलिए हमें धूम्रपान और शराब आदि के सेवन से बचना चाहिए।
डॉक्टरी जांच-
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समय-समय पर अपनी डॉक्टरी जांच कराते रहें। सबसे पहले तो मासिक धर्म रुकने के तुरंत बाद ही डॉक्टरी जांच करवाकर आप निश्चिंत हो जाएं कि आप गर्भवती हैं। उसके बाद हर महीने के अंतराल में चेकअप करवाते रहना चाहिए क्योंकि बच्चे की ग्रोथ दिन प्रतिदिन बढ़ती है। उसके आकार और वजन की जानकारी लेते रहना चाहिए। फिर इसके बाद नवां महीना लगने पर हर हफ्ते जांच की आवश्यकता होती है। कुल मिलाकर कम से कम दस बार जांच होनी चाहिए।
सातवें, आठवें महीनों में रहें सावधान –
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गर्भवती स्त्री के लिए सबसे सावधानी वाला महीना सातवां व आठवां होता है। इन महीनों में सोनोग्राफी से गर्भनाल की स्थिति, शिशु का वजन, बच्चेदानी के अंदर का पानी सभी की जांच करवा लेनी चाहिए, जिससे आने वाली परेशानियो से सही समय पर बचा जा सकता है।
व्यायाम करें-
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व्यायाम शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है, पर आप जो भी व्यायाम करें वह काफी हल्का हो। इससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। शरीर की ऊर्जा और हमारी कार्यक्षमता के साथ-साथ मानसिक दक्षता भी बढ़ती है। योगाभ्यास से ऊर्जा की दिन प्रतिदिन वृद्धि होती है। शरीर के प्रत्येक अंग एवं अवयव ऊर्जावान होते हैं।