5 प्रकार की दिव्य मणियां और उनके अलौकिक चमत्कार

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मणि शब्द का उल्लेख भारत के साहित्य के साथ-साथ फिल्म आदि में भी काफी मिलता है। सामान्यत: मणि शब्द का अर्थ पत्थर होता है पर जब हमारे देश में कोई भी व्यक्ति मणि शब्द का उल्लेख या चर्चा करता है तो उसका मतलब एक विशेष प्रकार के चमत्कारी पत्थर से माना जाता है। अधिकांश मणि को सांप के साथ जोड़ा जाता है। अधिकतर लोगों की मान्यता है कि यदि सांप बहुत लम्बे समय तक जीवित रहता है तो उसके सिर पर मणि धीरे-धीरे प्रकट होना शुरू हो जाती है। एक निश्चित समय पूरा होने पर यह मणि एक चमकदार हीरे जैसे पत्थर में परिवर्तित हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि मणि में अद्भुत शक्तियां होती हैं, जिनकी मदद से मानव अलौकिक कार्य कर सकता है। हालांकि वास्तव में क्या होती हैं मणियां यह अपने आप में एक रहस्य ही है।

ऐसा कहा जाता है कि मणियां कई प्रकार की होती थीं। मणियों के महत्व के कारण ही भारत के एक राज्य का नाम मणिपुर है। मणि से संबंधित कई कहानी और कथाएं समाज में प्रचलित हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको मणियों के बारे में कुछ खास जानकारी देने वाले हैं।

1- पारस मणि
पारस मणि का जिक्र पौराणिक और लोक कथाओं में खूब मिलता है। कई लोग यह दावा भी करते हैं कि उन्होंने पारस मणि देखी है। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में जहां हीरे की खदान है, वहां से 70 किलोमीटर दूर दनवारा गांव के एक कुएं में रात को रोशनी दिखाई देती है। लोगों का मानना है कि कुएं में पारस मणि है। ऐसा माना जाता है कि पारस मणि से लोहे की किसी भी चीज को छुआ देने से वह सोने की बन जाती है तथा इससे लोहा भी काटा जा सकता है।

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2- नीलमणि
नीलमणि एक रहस्यमय मणि है। असली नीलमणि जिसके भी पास होती है उसे जीवन में भूमि, भवन, वाहन और राजपद का सुख होता है। इसे ‘नीलम’ भी कहा जाता है, लेकिन शनि के रत्न नीलम और नीलमणि में फर्क है। संस्कृत में नीलम को इन्द्रनील, तृषाग्रही नीलमणि भी कहा जाता है। असली नीलमणि या नीलम से नीली या बैंगनी रोशनी निकली है, जो दूर तक फैल जाती है। विश्व का सबसे बड़ा नीलम 888 कैरेट का श्रीलंका में है, जिसकी कीमत करीब 14 करोड़ आंकी गई है। भारत में नीलमणि पर्वत भी है। भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में नीलम पाया जाता है।

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3- नागमणि
नागमणि के बारे में कहा जाता है कि यह जिसके भी पास होती है उसकी किस्मत बदल जाती है। कहते हैं कि नागमणि में अलौकिक शक्तियां होती हैं। उसकी चमक के आगे हीरा भी फीका पड़ जाता है। मान्यता अनुसार नागमणि जिसके भी पास होती है उसमें भी अलौकिक शक्तियां आ जाती हैं और वह आदमी दौलतमंद हो जाता है। मणि का होना उसी तरह का माना जाता है जिस तरह से अलादीन के चिराग का होना। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह कोई नहीं जानता।

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4- स्यमंतक मणि
स्यमंतक मणि के बारे में कहते हैं कि प्राचीनकाल में कोहिनूर को ही स्यमंतक मणि कहा जाता था। कई स्रोतों के अनुसार कोहिनूर हीरा लगभग 5000 वर्ष पहले मिला था और यह प्राचीन संस्कृत इतिहास में लिखे अनुसार स्यमंतक मणि नाम से प्रसिद्ध रहा था।

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5- कौस्तुभ मणि
कौस्तुभ मणि को भगवान विष्णु धारण करते हैं। कौस्तुभ मणि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। पुराणों के अनुसार यह मणि समुंद्र मंथन के समय प्राप्त 14 मूल्यवान रत्नों में से एक थी।

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इस प्रकार ये 5 प्रकार की प्रमुख माणियां कहलाती हैं। जिनका वर्णन विशेष तौर पर मिलता है। हालांकि प्रत्येक मणि में अपने विशेष गुण होते हैं पर यथार्थ क्या है अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है। वैसे एक गुण प्रत्येक मणि में कॉमन होता है कि ये चावल से उसी तरह चिपक जाते हैं जैसे कि लोहा किसी चुम्बक से चिपक जाता है।

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