हरिद्वार-ऋषिकेश के इन 6 टूरिस्ट स्पॉट्स को घूमने के लिए 2-3 दिन हैं काफी

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भारत के खास पवित्र स्थानों में से एक है उत्तराखंड, जहां पर हिन्दुओं के चार पवित्र धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री स्थित हैं। यहीं पर स्थित है हरिद्वार। इस जगह पर दूर देशों के लोग अपने आप ही खींचे चले आते है। यहां के पवित्र मंदिरों के साथ ही प्रकृति के द्वारा बनाई गई सुंदरता को देख सभी लोग इतने मोहित हो जाते है कि कोई भी इस जगह से वापस जाना नहीं चाहता। कलकल करती नदियों की धारा के साथ यहां की हरियाली ने मानों खूबसूरती की चादर बिछा दी हो। इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि ये उन स्थानों में से एक है, जहां समुद्र मंथन के समय अमृत की एक बूंद गिरी थी। जिसे लोग हरिद्वार के नाम से जानते है। आज हम इस स्थान के ऐसे खूबसूरत नजारों को बारें में बता रहें हैं, जहां पर पहुंचकर ऐसा लगता है कि जैसे कि प्रकृति ने अपना सारा सौंदर्य मानों हरिद्वार की धरती पर ही न्यौछावर कर दिया हो।

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1. हर की पौड़ी
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इस जगह पर सबसे पहले हरि के पैर पड़े थे, इस जगह की गंगा की आरती का सबसे बड़ा महत्व है। जिसमें हजारों श्रृद्धालु इकट्ठा होकर यहां पर आरती करते है और गंगा के इस तट पर चारों ओर दीपदान करने से नदी झिलमिलाने सी लगती है। जिसकी सुंदरता को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

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2. मनसा देवी मंदिर
यह मंदिर बिलवा की पहाड़ी पर स्थित है। मनसा देवी मंदिर जो सभी सिद्धपीठों में से एक प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। यहां पर विराजी मनसा देवी को पार्वती का रूप माना जाता है। इस जगह से गंगा नदी और हरिद्वार का अद्भुत खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। यहां की धरती के अद्भुत सौंदर्य को देखकर यदि इस जगह को “धरती का स्वर्ग” कहा जाए, तो शायद कम होगा। यहां पर लोग अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए भी आते है।

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3. चंडी देवी मंदिर
इस धरती का दूसरा सिद्धपीठ नील पर्वत की 2900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मनसा देवी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है मां चंडी देवी का मंदिर। जिसे शंकराचार्य जी ने (700 – 820 AD) में बनवाया था। इस मंदिर के पीछे की कहानी के बारे में बताया जाता है कि इस जगह पर मां देवी ने दो राक्षस चंड-मुंड का वध किया था। यह युद्ध नील पहाड़ पर ही हुआ था।

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4. ऋषिकेश
हरिद्वार से 20 किमी की दूरी पर बसा यह भारत के बड़े शहरों में से एक है। इस जगह पर गंगा का विशाल रूप देखा जा सकता हैं। यहां पर व्हाइट वॉटर रिवर राफ्टिंग होती है, जो काफी प्रसिद्ध है, जिसे देखने ही लोग यहां पर अपने आप ही खींचे चले आते है।

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5. लक्ष्मण झूला- (ऋशिकेष)
ऋषिकेश में स्थित लक्ष्मण झूला एवं राम झूला के बारे में तो सभी जानते ही है। यह गंगा नदी से 70 फीट की ऊंचाई पर बना है। 1939 में बने लक्ष्मण झूला के विषय में बताया जाता है कि इसे लक्ष्मण ने गंगा नदी को पार करने के लिए जूट की रस्सी का उपयोग करके बांधा था। तभी से इस झूले का नाम लक्ष्मण झूला रखा गया है।

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6. राम झूला-
यहां पर रिशा नाम का एक कुंड है। जिसमें कभी भगवान राम और लक्ष्मण स्नान किया करते थे। इसके अलावा इस जगह से करीब 3 किमी दूर मुनि की रेती पर स्थित राम झूला है। यह झूला लक्ष्मण झूले से काफी बड़ा है, पहले के समय यह जूट से बना झूला था। जिसे बाद में लोहे का बना दिया गया है।

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