अक्सर देखा जाता है कि जब बच्चे जब बीमार होते हैं तो बच्चों के साथ साथ मां-बाप भी परेशान हो जाते हैं और जल्द बच्चों को ठीक करने की सोचते हैं। इसके लिए हम डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाई तो लेते हैं, पर इन दवाइयों में ज्यादातर हम एंटीबायटिक दवाइयों का उपयोग करते हैं। ये दवाएं सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी बीमारियों से लड़ते हुए मरीज को जल्द ठीक कर देती हैं, पर क्या आप जानते हैं कि जल्द आराम होने के चक्कर में दी जाने वाली ये दवाएं आगे चलकर काफी नुकसानदायक साबित हो सकती हैं।
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दरअसल बच्चे की तबियत जरा सी भी नासाज होने पर लोग उसे तुरंत दवाइयां देते हैं। इनमें एंटीबायटिक भी होती हैं, लेकिन लगातार एंटीबायटिक देने से शरीर मे इनके प्रति प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है। इससे भविष्य में दवाइयां कारगर नहीं होतीं और इलाज में दिक्कत होने लगती है। बताया जाता है कि एंटीबायटिक दवाइयां बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए होती हैं। बार-बार इन दवाइयों को देने से बैक्टीरिया पर उनका असर खत्म हो जाता है।
अगर बच्चे को बुखार, जुकाम हो तो तुरंत दवा देने से बचें और इन उपायों को आजमाएं। जब भी बच्चे को सर्दी-जुकाम जैसी समस्या हो तो बच्चों को भाप दें। अक्सर देखा जाता है कि सर्दी जुकाम के समय बच्चे के शरीर में जकड़न होने लगती है, जिससे मां बाप घबरा जाते हैं। ऐसे समय में घबराने की आवश्यकता नहीं है। उसे डॉक्टर को दिखाएं। सर्दी के मौसम में ऐसा होता रहता है। अगर आप गौर करें तो एंटीबायटिक दवाइयां जब नहीं हुआ करती थीं तो भी लोग अपने बच्चों का इलाज करते थे। घर में भी हमारे पास ऐसे उपाय मौजूद होते हैं जो कुछ शारीरिक समस्याओं को दूर कर देते हैं, पर इसकी ओर लोग ध्यान देना बिल्कुल भूल चुके हैं। जुकाम जैसी समस्या दो-तीन दिन में खुद ठीक हो जाती है। इसलिए जबरदस्ती एंटीबायटिक का इस्तेमाल न करें। बच्चों के अलावा बड़ों को भी कम दवाइयां खानी चाहिए। दवा ज्यादा खाने से उसके खिलाफ शरीर में प्रतिरोधक बन जाता है। बैक्टीरिया भी स्ट्रक्चर चेंज कर लेता है और मरता नहीं। डॉक्टरों को एंटीबायटिक देने से पहले मरीज के ब्लड कल्चर रिपोर्ट को देखना चाहिए। मेडिकल स्टोर से खुद कभी भी दवाइयां खरीदकर खाने से बचें।