कभी सोचा है हज़ारों साल पहले हमारा पहनावा क्या रहा होगा?

-

आज के समय में लोगों ने अपनी मूलभूत आवश्काओं की पूर्ति के लिये हर वो साधनों को जुटा लिया है। जिससे वो पूरी तरह से सुरक्षित रह सकते है पर क्या आप आज से 7000 साल पहले के बारें में जानते है कि उस समय के लोगों की सुरक्षा का एक मात्र कवच क्या था किस तरह से अपनी आवश्कताओं की पूर्ति करते थे। किस चीज से वो अपने तन को ढाकते थें। आइये, आज हम आपको बताते है 7000 साल पहले के लोगों को पहनावा कैसा था? 12,000 साल से लेकर 10,000 साल तक का पूर्व समय पाषाण काल के नाम से जाना जाता है। उस दौरान लोगों का जीवन पत्थरों से शिकार करना, गुफाओं में रहना, और पत्थरों से आग पैदा करना था। इस दौरान यहां के लोगों को पहनावा भी जंगली जैसा था।क्योकि कपड़ों का चलन उस समय नही था।

7000 साल

पाषाणकाल :

पुरुषों का पहनावा –

पुरुषों की पहनावा

इस काल के समय में लोग नगें रहते थे फिर धीरे धीरे पत्तों को पहनने का चलन शुरू हुआ। इसके बाद लोग चमड़े की खाल का उपयोग करने लगे।

औरतों का पहनावा –

औरतों का पहनावा

औरतो का पहनावा भी यही था। इसके लिये वो हाथी दांत या हड्डियों से बनी सूई से चमड़े को सीलकर  पहनती थी। और पत्थर, सीप, हड्डियों से बने गहने उपयोग करती थी।

वैदिक काल –

वैदिक काल

इस काल के दौरान महिलाओं का पूरा शरीर कपड़े से लिपटा होता था, जैसे ईरान या ग्रीस की महिलाएं कपड़े पहनती थी. उस समय की महिलाये कपड़े को घुटने सो लपेटते हुये कमर तक पहनती थी। और उसे अपनी गर्दन से बांध लेती थी। जो पूरे तन को ढकने का काम करता था।

गुप्त काल –

गुप्त काल

इस काल में साड़ी का प्रचलन शूरू ही हुआ था पर इस काल की महिलाएं केवल निचले परिधान पहनती थीं, ब्लाउड का प्रचलन नही होने का कारण वो उसे साड़ी को कंधे पर से ही लपेटते हुये ढाकती थी।

मुग़ल काल –

मुग़ल काल

इस काल में लोगों के पहनने के तौर तरीके में काफी बदलाव आया। इस काल में पुरुषों एंव महिलाएं दोनों  आभूषण के साथ साथ राजसी कपड़ों के शौकीन हुआ करते थे। इस काल में पुरूष लोग रेश्मी मलमल के कपड़ों को पहनना ज्यादा पंसंद करते थे। महिलाये पूरे कमर से घिरा हुआ घाघरा पहनती थी। साथ ही में ब्लाउज का प्रचलन चालू हो गया था। कपड़ों पर ढेर सारा कढ़ाई का काम भी होता था

राजपूत अवधि –

राजपूत अवधि

क्षत्रिय लोगों के नाम से पहचानी जाने वाली ये वंशावली 7 वीं और 8 वीं सदी में राजपूत के रूप में उभरकर आयी। राजपूतों ने एक पारंपरिक जीवन शैली को जन्म दिया। इस समय के लोग अंगारखी, पगड़ी, चूड़ीदार पायजामा और कंबरबार को पहनना ज्यादा पंसंद करते थे। और महिलाये घेरदार घाघरे के साथ काफी सारे आभूषण को पहनती थी।

Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttp://wahgazab.com
कलम में जितनी शक्ति होती है वो किसी और में नही।और मै इसी शक्ति के बल से लोगों तक हर खबर पहुचाने का एक साधन हूं।

Share this article

Recent posts

Popular categories

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments