भारत में आदिकाल से सूर्य को ऊर्जा, जीवन और ज्ञान के प्रतीक स्वरूप माना जाता रहा है। सूर्य साधना से जहां हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वहीं यह हमारे मन को भी सकारात्मक प्रभावों से अनुप्राणित कर देता है। सूर्य नमस्कार की बात करें तो यह अपने आप में एक संपूर्ण व्यायाम है, जो अपनी बहुउपयोगिता से हमारे मन और शरीर को निरोगी बनाने के साथ-साथ गतिशील व तेजोमय भी बनाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
कैसे किया जाता है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार की बात करें तो इसमें कुल 12 आसन किये जाते हैं। वैसे तो इसको कभी भी किया जा सकता है, पर इस व्यायाम को करने का सबसे सही और उपयोगी समय सूर्योदय को माना जाता है। सूर्य नमस्कार को करने से पहले यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप खाली पेट हों।
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सूर्य नमस्कार का क्रम
प्रणामासन :-
सबसे पहले आप अपने दोनों पैरों पर खड़े हो जायें और अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से मिला दें। इसके बाद आंखें बंद कर नमस्कार की मुद्रा धारण करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है।
हस्तउतानासन :-
इसमें आप अपने हाथों को सीधे ऊपर की ओर उठा लें और दोनों हाथों को अपने कंधों की चौड़ाई के बराबर रखें। अब अपने हाथ, सिर और शरीर को अपनी क्षमता अनुसार पीछे की ओर मोड़ें। इससे पाचन अच्छा होता है। हाथ और कंधों को बल मिलता है।
पादहस्तासन : –
अब धीरे-धीरे सामने की ओर झुका जाता है और अपने दोनों हाथों को आप सामने नीचे की ओर धरती पर स्पर्श कीजिये। सिर को घुटने से स्पर्श करने का प्रयत्न कीजिये। ध्यान रहे इस प्रक्रिया में आपके घुटने झुकने नहीं चाहिये। इससे आपका मेरुदंड लचीला होता है। यह आपके शरीर की अतिरिक्त चर्बी को घटाता है और पाचन तंत्र को मजबूत रखता है।
अश्वसंचालनासन : –
अब आप अपनी दोनों हथेलियों को पांव के तलवों के दोनों ओर रखें और बायें पैर को स्थिर कर के दाहिने पैर को पीछे की ओर तान दें फिर बायें पैर के घुटने को मोड़ दें। इसके बाद अपने सिर को धीरे-धीरे पीछे की ओर मोड़ दें और अपनी पीठ को कमान की तरह तान दें। इससे आपके पैरों को मजबूती मिलती है और आपकी तंत्रिका प्रणाली मजबूत होती है।
पर्वतासन :–
अब आप अपने बायें पैर को पीछे कर दाहिने पैर से मिला दें और नितम्बों को ऊपर की ओर उठा दें। अपने सिर को दोनों हाथों के बीच में ही झुका रहने दें। इससे आपके हाथ पैर के स्नायु तथा मेरुदंड को मजबूती मिलती है।
अष्टांग नमस्कार :-
अब आप धीरे-धीरे नीचे की ओर झुकिये और अपने दोनों घुटने, पैरों की अंगुलियों, दोनों हथेलियों, छाती तथा ठुड्डी इन अंगों को भूमि से स्पर्श कीजिए। इससे आपके हाथ, पैर और छाती के स्नायुओं को बल मिलता है।
भुजंगासन :-
इसमें सबसे पहले आप अपने नितम्बों को नीचे की ओर ले जायें, फिर अपनी कुहनियों को सीधा करें। सिर और पीठ को पीछे की ओर कर के कमान जैसी छवि बनायें। सीधे ऊपर आकाश में देखें। इससे आपका प्रजनन तंत्र, मेरुदंड मजबूत और स्वस्थ रहता है।
पर्वतासन :-
इसमें पॉइंट 5 में बताए गए आसन को दोहराना होता है।
अश्वसंचालानासन : –
इसमें पॉइंट 4 के आसन को दोहराना है।
पादहस्तासन :-
अब पॉइंट 3 को दोहराना है।
हस्तउत्तानासन : –
इसमें पॉइंट 2 को दोहराना होता है।
प्रणामासन :-
इसके जरिये पॉइंट 1 की स्थिति में वापस आ जाते हैं।
क्या है सूर्य नमस्कार के लाभ
सुबह-सुबह सूर्य नमस्कार करने से हड्डियों को विटामिन डी मिलता है, जिससे हड्डियां मजबूत हो जाती हैं।
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इसे करने से आंखों की रोशनी हमेशा सही रहती है।
यह वजन कम करने के लिए बहुत उपयोगी है।
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इससे बालों का झड़ना और सफ़ेद होना बंद हो जाता है।
मानसिक शांति और धैर्य प्रदान करता है।
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चहेरे पर झुर्रियों को कम करता है और स्किन पर ग्लो आता है।