राम कृपाल जी- 17 भाषाओं को उल्टा लिखने की कला है इनके हाथों में

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कभी कभी व्यक्ति कुछ ऐसा कर देता है जिससे उसको एक नई पहचान मिल जाती है। आज यहां हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में जानकारी दे रहें हैं। इस व्यक्ति का नाम “राम कृपाल जी” है। राम कृपाल जी बलरामपुर के निवासी है। इनकी खूबी यह है कि ये 17 भाषाओं को उल्टा लिखने की कला को जानते हैं। यही कारण है कि लोग इनको शब्दों का बाजीगर कहते हैं। उल्टा लिखने की यह कला राम कृपाल जी को अशिक्षा के कारण मिली। असल में जब राम कृपाल 8 वीं क्लास में थे। उस समय उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। पिता की मृत्यु के बाद घर की सारी जिम्मेदारी राम कृपाल के कन्धों पर आ गई। इस कारण उनको पढ़ाई छोड़ने के बाद एक प्रतिष्ठान में नौकरी करनी पड़ी।

एक बार वे ऑफिस के ही एक दोस्त के विवाह में टाई लगाकर शामिल हुए थे तो कंपनी के मालिक ने उनको उलाहना दे दी। वह बात राम कृपाल जी के ह्रदय को चुभ गई। अब राम कृपाल ने अपनी पढ़ाई को दोबारा से शुरू किया। इस दौरान अपनी जीविका के रुप में वह रेडियो रिपेयर का काम भी करते थे। इस प्रकार वे अपने काम के साथ साथ पढ़ाई भी करते रहे। पढ़ाई करते हुए राम कृपाल ने एलएलबी तक अपनी शिक्षा पूरी की तथा खुद को टाई पहनने लायक बनाया। इसके बाद राम कृपाल ने स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ाने का कार्य भी शुरू किया।

राम कृपाल जीImage source:

जब पिता की मौत हो गई थी तो राम कृपाल की शिक्षा छूट गई थी। इस दौरान ही उन्होंने उल्टा लिखने का अभ्यास शुरू किया था। वे अपने अभ्यास में इतने पक्के हो गए कि 17 भाषाओं में उल्टा लिखने लगें। उल्टा लिखने की कला को उन्होंने आगे भी जारी रखा। उनकी इस कला के कारण ही उनको कई स्थानों पर बुलाकर सम्मानित भी किया गया। इस प्रकार से उल्टा लिखने की कला से ही राम कृपाल को कई जगह से सम्मान मिला। राम कृपाल कुछ समय पहले बीमार हो गए थे और उस समय में भी उन्होंने उल्टा लिखने के अपने अभ्यास को नहीं छोड़ा। इस प्रकार से राम कृपाल ने समाज में अपने सम्मान को दोबारा से प्राप्त कर लिया।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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