अब युवा नेता से “वरिष्ठ” हो चुके हैं राहुल गांधी, लोग बोल रहें हैं “राहुल अंकल”

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हाल ही में राहुल गांधी को “युवा नेता” से “वरिष्ठ” बना दिया गया हैं और इसी कारण अब वह राहुल भैया के स्थान पर राहुल “अंकल” कहलाने लगें हैं। यह कार्यक्रम कांग्रेस कार्यालय में आयोजित किया गया था। इस प्रोग्राम में राहुल गांधी को युवा नेता के स्थान पर “वरिष्ठ नेता” का दर्जा दिया गया। इस अवसर पर एक ओर जहां राहुल कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहें थे वहीं पार्टी से जुड़े युवा लोग बेहद दुःखी दिखाई पड़ रहें थे।

 राहुल को “वरिष्ठ नेता” का पद मिलते देख सोनिया गांधी काफी भावुक हो गई। उन्होंने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि “कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं की मेहनत और लगन की वजह से ही आज मेरा बेटा बड़ा हो पाया हैं और यह साम्प्रदायिक ताकतों के मुंह पर एक तमाचा हैं।”

वहीँ सम्मानित होने के बाद राहुल ने मंच से अपने विचार देते हुए कहा कि “देखों भैया एक न एक दिन सभी को वरिष्ठ बनना ही हैं तो मैं भी बन गया। आप घबराओं नहीं, मैं सदैव आपके दिलों में रहूँगा बस इतना हैं कि अब मैं बड़े लोगों की भी पसंद बन सकूंगा।”

rahul gandhi now becomes mature politicianimage source:

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल दिग्विजय सिंह ने कहा कि “आज से कोई भी राहुल जी को भैय्या नहीं बोलेगा बल्कि उनको सभी राहुल अंकल के नाम से सम्बोधित करेंगे और हम लोगों को पूरा विश्वास हैं कि राहुल जी एक अंकल के रूप मे हमारा सदैव मार्गदर्शन करेंगे।”

प्रोग्राम के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिग्विजय सिंह ने राहुल को वरिष्ठ बनाने पर सफाई दी और कहा कि “असल में हमारे उपाध्यक्ष जी की त्वचा कुछ ऐसी हैं की उनकी उम्र का पता लग ही नहीं पाता। वास्तव में वह अभी भी बच्चे ही लगते हैं। यही कारण था कि उनको वरिष्ठ बनाना जरुरी था।” यह प्रोग्राम जब समाप्ति की ओर था तो दिग्विजय सिंह ने “कांग्रेस युवा ब्रिगेड’ का नाम बदल कर “वरिष्ठ ब्रिगेड” रख दिया तथा मोदी जी के अंदाज में सभी कार्यकर्ताओं को नारे की प्रेक्टिस भी करवाई। जो कुछ ऐसी थी, “हमारा नेता कैसा हो, ‘राहुल अंकल’ जैसा हो!”

विशेष नोट- इस तरह के आलेख से हमारा उद्देश्य केवल आपका मनोरंजन करना हैं। इसमें मौजूद नाम, संस्था और राजनीतिक पार्टियों की छवि को धूमिल करना हमारा उद्देश्य नहीं हैं। साथ ही इसमें बताया गया घटनाक्रम मात्र काल्पनिक हैं। अगर इससे कोई आहत होता हैं तो हमें बेहद खेद हैं।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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