मोदी जी ने जैसे ही पान खाने वालों को “वंदे मातरम” कहने से मना किया तब से ही यूपी-बिहार में हंगामा मचा हुआ है। जी हां, पीएम मोदी के बयान पर अब उत्तर प्रदेश तथा बिहार के तमाम लोग आक्रोशित हो गए हैं। असल में हुआ यह था कि पीएम मोदी ने स्वच्छता पर बोलते हुए कहा था कि –
“जो लोग पान-गुटखा खाकर ज़मीन पर थूकते हैं, उनको वंदे मातरम कहने का कोई हक नहीं है।”
पीएम मोदी के इस बयान पर ही दोनों प्रदेशों के लोगों में भारी रोष है और ये लोग लगातार प्रदर्शन कर रहें हैं। इन प्रदर्शनों में लोगों की मानसिकता जानने के लिए हमारे संवाददाता पीके गिरपड़े भी कानपुर पहुंचे और सड़क पर हो रहें एक प्रदर्शन में शामिल “लालचंद पनवारी” नामक एक व्यक्ति का इंटरव्यू ले लिया।
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संवाददाता पीके – मोदी जी ने कहा कि पान खा कर थूकने वालों को वंदे मातरम कहने का हक नहीं है, इस पर आपके क्या विचार है?
लालचंद पनवारी (पान खाते हुए) – वो ववुत ववा गई ववुत ववा।
संवाददाता पीके – क्या कहा, समझ नहीं आया।
लालचंद पनवारी (हाथ के इशारे से समझाते हुए) – मटलेव मोड़ी ई जाआ बॉल गिई ईसस आर।
संवाददाता पीके (लाचारी से) – पनवारी साहब आप की बात समझ नहीं आ पा रही है, साफ-साफ कहिये।
लालचंद पनवारी – रूटों एट मिवत … इसके बाद लालचंद ने एक भरपूर पिचकारी पास की दीवार पर अपने श्रीमुख से छोड़ कर अपने होठों को हथेली से साफ करते हुए कहा – “हम कहत रहें हैं कि इस बात मोदी जी कुछ ज्यादा ही बोल गए हैं। सीध-सीधे बोले तो ई सारे बिहार और यूपी की पब्लिक की इंसल्ट है। मोदी के ये शब्द असल में बिहार और यूपी की जनता के डीएनए पर हमला है।
संवाददाता पीके – क्या, ये जनता के डीएनए पर हमला किस प्रकार हुआ?
इस बात के उत्तर में लालचंद पनवारी एक और पान अपने मुंह के हवाले करते हुए हुए बोले – अरे साहब जब ई पीक और पान हमारी जनता के डीएनए में है, तब ये हमारी जनता के डीएनए पर हमला हुआ के नाही, बताओ तो जरा? आगे लालचंद तल्ख़ स्वर में बोले – “अरे हम सब जानत है, अभी क्या है कि यूपी और बिहार में चुनाव है नाही इसलिए ही मोदी जी इतना हिम्मत दिखा दिए हैं, ऐसा बोल कर। उस समय ऐसा बोलत रहें तो हम बता दिए होते कि कितना ताकत होता है पान और गुटखे में।”
इतना कह कर लालचंद प्रदर्शन करने वाले लोगों के साथ “हाय हाय” चिल्लाते हुए आगे बढ़ गए और उधर बिहार में भी लालू जी ने भी अपने नाम के अनुरूप लाल रंग को अपना सपोर्ट करते हुए “पीक और पान” नामक एक विशाल जनसभा का बिहार के गांधी मैदान में करने का एलान किया है।
विशेष नोट- इस तरह के आलेख से हमारा उद्देश्य केवल आपका मनोरंजन करना है। इसमें मौजूद नाम, संस्था और राजनीतिक पार्टियों की छवि को धूमिल करना हमारा उद्देश्य नहीं है। साथ ही इसमें बताया गया घटनाक्रम मात्र काल्पनिक है। अगर इससे कोई आहत होता है तो हमें बेहद खेद हैं।