कपिल देव की धुआंधार गेंदबाज़ी देख जब वेस्टइंडीज़ टीम के छूटे पसीने,नही तोड़ पाया कोई रिकॉर्ड

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कपिल देव

भारतीय क्रिकेट टीम में ऐसे कई ऑलराउंडर खिलाड़ी हुए हैं जिनकी धुआंधार बल्लेबाजी के सामने विरोधी टीम का टिक पाना मुश्किल हुआ है। लेकिन एक जमाना ऐसा भी था जब भारतीय क्रिकेट टीम की गिनती कोई खास नहीं होती थी। पर 1980 के दशक में गेंदबाजी के साथ अपनी बल्लेबाजी से विरोधियों को पसीना छुड़ाने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कपिल देव का नाम उस वख्त क्रिकेट के आसमान में बुलंदियों पर छा गया जब 2 बार के विश्व चैंपियन के जबड़े से 1983 का विश्वकप छीन लिया। उसके बाद ऑलराउंडर कपिल देव ने क्रिकेट जगत में ऐसा नाम कमाया कि उनके जैसा महान गेंदबाज और धुरंधर बल्लेबाज आज तक भारतीय टीम में दोबारा देखने को नही मिला है।

1983 के विश्व कप मुकाबले में कपिल ने ना सिर्फ़ शानदार कप्तानी की बल्कि उनकी आग उगलती गेंदों ने विश्व चैंपियन के पसीने छुड़ा दिए, बल्कि उस मैच में एक बड़ा रिकार्ड भी अपने नम दर्ज किया था। हालांकि बाद के सालों में उनके रिकार्ड को तोड़ने की कोशिश अनिल कुंबले ने दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में 7 फरवरी 1999 में की थी, उस मैच में कुंबले ने एक पारी के दस विकेट चटका कर नया इतिहास रच दिया था। कुंबले से पहले ऐसा ही इतिहास 16 साल पहले यानी साल 1983 में भारत के महान बल्लेबाज कपिल देव ने किया था।

साल 1983 भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण साल रहा है। जिसमें भारत ने वेस्ट इंडीज़ को लगातार दो बार मात देकर एक बड़ी जीत हासिल की थी। यह क्रिकेट मैच बड़ा रोचक होने के साथ सभी के दिल को दहला देने वाला था। क्योकि वेस्ट इंडीज़ टीम भारत के साथ खेलने के लिए एक नया जोश लेकर आई थी। और धमाकेदार खेल खेलते हुए इस टीम नें 83 रन से पहला टेस्ट भी जीत लिया था और दूसरा टेस्ट ड्रॉ रहा। जब तीसरा टेस्ट अहमदाबाद में खेला जाने लगा तब कपिल देव ने इसका बदला गिन-गिनकर लिया।

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कपिल की बेहतरीन गेंदबाजी को देख छूटे पसीने

टीम इंडिया से पहले टेस्ट मैच में जीत हासिल करने के बाद जब विंडीज़ की टीम दोबारा खेलने के लिए मैदान में उतरी तो  सभी के मन में बस यही लग रहा था कि अपनी दूसरी पारी में भी विंडीज़ रनों का एक बड़ा पहाड़ इंडिया के सामने खड़ा करदेगी। लेकिन ऐसा लगा भारतीय टीम की आंधी कहे जाने वाले कपिल ने उनके इरादे पर पानी फेरने की जैसे कसम खा रखी थी। और शुरुआती खेल खेलते हुए कपिल देव की बेहतरीन गेंदबाजी के सामने वेस्ट इंडीज़ के छक्के छूटने लगे। इस मैच में कपिल ने ऐसी गेंद डाली की विंडीज़ के एक के बाद एक

नौ विकेट धराशाई हो गए और यह कारनामा कपिल के खाते में गया। ऐसा करके कपिल भारतीय क्रिकेट इतिहास के पहले भारतीय बनने का गौरव हासिल किया। इतना ही नहीं अपनी खतरनाक बॉलिंग के दम पर कपिल टेस्ट की एक पारी में नौ विकेट लेने वाले पहले कप्तान भी बन गए। इस तरह से कपिल देव के रिकॉर्ड को आज तक कोई दूसरा ख़िलाड़ी नही तोड़ पाया है।