गौ सेवा – हाजी मेहरदीन पिछले 15 वर्ष से कर रहें हैं गौ सेवा, घर घर जाकर करते हैं रोटियां इकट्ठी

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गाय को हिंदू धर्म में बहुत आदर दिया जाता है, लेकिन बहुत से अन्य धर्मों के लोग भी गौ सेवा के इस कार्य में अपना हाथ बटांते हैं। आज हम आपको इस्लाम को मानने वाले एक ऐसे व्यक्ति से यहां रूबरू करा रहें हैं जो पिछले 15 वर्ष से लगातार गायों के लिए रोटियां इकट्ठी कर रहा है। इस व्यक्ति का नाम “हाजी मेहरदीन” है। हाजी मेहरदीन राजस्थान के जैसलमेर शहर के निवासी हैं। प्रत्येक दिन सुबह के सूर्य की किरण निकलते ही जैसलमेर शहर की हर गली हाजी मेहरदीन का इंतजार करती है। सुबह होते ही हाजी मेहरदीन अपना रिक्शा लेकर गायों के लिए रोटियां इकट्ठी करने के लिए निकल जाते है। रिक्शे में एक घंटी लगी है और इस घंटी का इंतजार सुबह के समय बहुत लोग करते हैं। जैसे ही हाजी मेहरदीन के रिक्शे की घंटी बजती है, गली के लोग रोटियां लेकर हाजी मेहरदीन के पास पहुंच जाते हैं।

हाजी मेहरदीनImage Source:

परिस्थितियां और मौसम कैसा भी हो हाजी मेहरदीन अपने इस कर्म को हर हालत में पूरा करते हैं। वे कहते हैं कि मुझे इस काम को करने में बहुत सुकून मिलता है। हाजी मेहरदीन का मानना है कि धर्म चाहें कोई भी हो हर धर्म शांति और भाईचारा ही सिखाता है। सुबह 7 बजे शुरू हुआ हाजी मेहरदीन का यह गौ सेवा का सफर दोपहर 12 बजे थमता है। शहर की गलियों में जाने का समय और दिन अपनी सुविधा के हिसाब से हाजी मेहरदीन ने तय किया हुआ है। अपने इस कार्य के दौरान वह प्रतिदिन करीब 10 से 12 किमी पैदल चलते हैं। वर्षभर में जब रमजान का पवित्र महीना आता है तब हाजी मेहरदीन रोजे रखते हैं और अपना यह कार्य भी करते हैं। भीषण गर्मी के रोजे रखते हुए भूखे प्यासे हाजी मेहरदीन गायों के लिए प्रतिदिन 10 से 12 किमी पैदल चलते हैं। पूछने पर वह कहते हैं कि “रोजा मैंने रखा है, गायों ने नहीं।”, शाम को करीब 4 बजे हाजी मेहरदीन गायों के लिए इकट्ठी की गई, अपनी सभी रोटियां लेकर “राजस्थान गौसेवा संघ” की गौशाला में पहुंचाते हैं और करीब 3 घंटे का समय वहां गौ सेवा में गुजारते हैं। इस प्रकार से हाजी मेहरदीन का पूरा दिन गौ सेवा के कार्य में निकल जाता है। आज के समय में गाय के नाम पर जो लोग राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं, उन लोगों को हाजी मेहरदीन से मानवीयता सीखने की जरुरत है।

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किसी भी लेखक का संसार उसके विचार होते है, जिन्हे वो कागज़ पर कलम के माध्यम से प्रगट करता है। मुझे पढ़ना ही मुझे जानना है। श्री= [प्रेम,शांति, ऐश्वर्यता]

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