यहां स्नान करने से मिलेगी संतान !

0
353

कहते हैं मातृत्व सुख दुनिया का सबसे बड़ा सुख है और पहली बार मां बनना किसी भी महिला के लिए जीवन का सबसे अनोखा, महत्वपूर्ण और सौभाग्यपूर्ण हिस्सा है। मां इस संसार की सबसे अहम कड़ी होती है, जो अपने बच्चों के लिए वह सब कुछ कर देती है जिससे उसके बच्चों को खुशियां मिलें। बहुत सी ऐसी महिलाएं भी हैं जो इस सुख से वंचित हैं। लाख कोशिशों के बाद भी उनका आंगन सूना पड़ा है। अगर आप भी उन्हीं महिलाओं में शामिल हैं जिनकी शादी के बहुत साल बाद भी उनके आंगन में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजी तो हम आपको एक ऐसे चमत्कारी कुंड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें स्नान करके आपके घर में भी जल्द बच्चे की किलकारियां गूज उठेंगी।

Radha KundhImage Source: http://www.iloveiskcontemple.com/

आप सभी ने उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी मथुरा का नाम तो सुना ही होगा, जिसे भगवान श्रीकृष्ण का ही एक रूप माना जाता है। यहां का पूरा क्षेत्र कान्हा की भक्ति और कृपा से भरा हुआ है। उसी मथुरा में गोवर्धन गिरिधारी की परिक्रमा मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है, जिसका नाम है राधा कुंड। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में अगर नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी ‘कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी’ की मध्य रात्रि को एक साथ स्नान करें तो उनके घर बच्चे की किलकारी गूंज सकती है। ऐसा कहा जाता है कि यहां महिलाएं अपने केश खोलकर राधा जी से संतान का वरदान मांगती हैं। यहां स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। राधाकुंड के बगल में ही श्रीकृष्ण कुंड है जिसकी बनावट बिल्कुल श्रीकृष्ण की तरह बांकी यानि की 3 जगह से टेढ़ी है।

Krishna KundImage Source: http://en.brajdiscovery.org/

ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण कुंड का निर्माण नारद जी के कहने पर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था। जिसमें श्रीकृष्ण ने सभी तीर्थों के जल से उस कुंड में आने की प्रार्थना की। भगवान के बुलाने पर सभी तीर्थ वहां जल रूप में आ गए। तभी से सभी तीर्थों का अंश जल रूप में यहां स्थित है।

इसी को देखते हुए राधा ने भी उस कुंड के पास ही अपने कंगन से एक और छोटा सा कुंड खोदा। जिसको देखकर भगवान ने उस कुंड को कृष्ण कुंड से भी ज्यादा प्रसिद्ध होने का वरदान दिया। तभी से यह राधा कुंड नाम से प्रसिद्ध हो गया।

Radha Kundh1Image Source: http://www.stephen-knapp.com/

कृष्ण कुंड और राधा कुंड की अपनी एक विशेषता है कि दूर से देखने पर कृष्ण कुंड का जल काला और राधा कुंड का जल सफेद दिखाई देता है। जो कि श्रीकृष्ण के काले वर्ण के होने का और देवी राधा के सफेद वर्ण के होने का प्रतीक है।

Shyama KundImage Source: http://www.stephen-knapp.com/

संतान के लिए राधा कुंड में ही स्नान क्यों होता है इसके पीछे भी एक ऐतिहासिक महत्व है। कहा जाता है कि एक बार गोवर्धन में गाय चराने के दौरान अरिष्टासुर नाम के गाय के बछड़े ने श्रीकृष्ण पर हमला कर दिया था। तब भगवान ने उस बछ़ड़े का वध किया। जिसको लेकर राधा जी नाराज हो गईं क्योंकि कान्हा पर गोवंश हत्या का पाप लगा था। इस पाप से प्रायश्चित के लिए राधा जी ने सारे तीर्थों का जल एक कुंड में लाने के लिए श्री कृष्ण को कहा। तब श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से यह कुंड खोदा था और राधा जी ने भी अपने कंगन से राधा कुंड खोदा। जिसके बाद राधा कृष्ण ने इसी कुंड में स्नान के बाद अष्ट सखियों संग महारास किया। जिसके बाद प्रसन्न होकर राधा जी ने श्रीकृष्ण को यह आशीर्वाद दिया कि जो भी अहोई अष्टमी की रात राधा और कृष्ण कुंड में स्नान करेगा उसके घर साल भर के अंदर ही संतान की किलकारी गूंजेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here