नीली आंखों वाले बाघ की मौत का गहराता रहस्य

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मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व दुनियाभर में बाघों की सबसे घनी आबादी और अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। इतिहासकारों की मानें तो अकबर के दरबार के 9 रत्नों में से एक तानसेन और दूसरे बीरबल पहले बांधवगढ़ रियासत की शोभा बढ़ाते थे। बांधवगढ़ पहाड़ के ऊपर आज भी किले के अवशेष अपनी गौरव गाथा का बखान करते हैं।

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में बाघों की सबसे घनी आबादी होने के कारण देश, विदेश के लोग बड़ी तादाद में यहां आते हैं, पर आज के समय में बाघों के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। काफी संख्या में पाए जाने वाले बाघों पर शिकारियों की नज़र पड़ने लगी, जो अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिये इनका शिकार कर बड़ी से बड़ी रकम वसूल रहे हैं। बाघों की लगातार घटती संख्या को देखकर अब यहां के मैनेजमेंट पर भी सवाल उठने लगे हैं, जिसमें कहीं ना कहीं इनकी सबसे बड़ी लापरवाही भी देखने को मिल रही है। इन्हीं में एक ब्लूआई बाघ की मौत ने पूरे देश का ध्यान इस ओर आकर्षित कर यहां के पूरे मैनेजमेंट को एक बार फिर विवादों के घेरे में ला दिया है।

Rare-blue-eyed-tigers-death-in-bandhavgarh-400x240Image Source :http://www.wallofindia.com/

यह ब्लूआई टाइगर अपनी आंखों की वजह से दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान बनाये हुए था। वो दुनियाभर के पर्यटकों का पसंदीदा बाघ था। हाल ही में हुई उसकी मौत ने लोगों को झंकझोर कर रख दिया है। बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के बाघ T-13 की मौत का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस बाघ की मौत को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही हैं। बाघ T-13 ने बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के अधिकारियों पर हमला किया इसके अगले ही दिन बाघ के मौत की खबर आ गई और इसी के साथ गर्म हुआ अफवाहों का बाज़ार। बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व अथॉरिटी ने मौत की वजह बाघों की आपस में लड़ाई को बताया है, लेकिन खबरें कई तरह की आ रही हैं। कुछ लोगों का ये कहना है कि बाघ को बेहोश करने के लिए जो ट्रैंकुलाइज़ किया गया उसके ओवर डोज़ की वजह से बाघ की मौत हुई है। वजह जो भी हो, लेकिन बांधवगढ़ का एक मशहूर बाघ असमय काल के गाल में समा गया और इसी के साथ सूबे में बाघों के अस्तित्व पर भी सवाल उठने लगे हैं।

आंकड़े तो ये भी बयां कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश में पिछले सवा दो साल में 39 बाघों की मौत हुई है। यही वजह है कि मध्यप्रदेश को जो टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल था वो उससे साल 2011-12 में छिन गया है। मध्य प्रदेश के वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने कहा है कि नीली आंख वाले बाघ T-13 की उम्र ज्यादा हो गई थी, जिसकी वजह से बाघों के संघर्ष में उसकी मौत हुई है।

वहीं, बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व और बाघों के बारे में जानने वाले T-13 की उम्र 11-12 वर्ष बताते हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बाघ के शरीर पर चोट के गहरे निशान थे जो 8 से 10 दिन पुराने थे और इसी दौरान बाघ के गले में बाइकमास्क ज्यादा हो गये थो जो उसकी मौत का कारण बना।

मरे हुये बाघ की उम्र 10 साल के ऊपर बताई जा रही है, जबकि एक सामान्य बाघ की उम्र 18 से 22 साल मानी जाती है। ऐसे में ये बाघ तो अभी जवान था। अब ब्लूआई टाइगर की मौत को लेकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है। लोगों ने प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस बाघ के मौत की जांच कराए जाने की मांग की है।

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