देश की सुरक्षा में लगा हर जवान अपनी मिट्टी से इतना प्यार करता है जिसके लिये वो अपनी जान देने में पीछे नही हटते। जिसका जीता जागता उदा। हमे हर रोज पल पल में देखने को मिलता है। देश की सुरक्षा में लगे सपूतों के शहीद होने पर लोग उन्हे याद कर आंसू बहाते है लेकिन एक जवान इनमें ऐसा भी था कि लोगों नें उसकी वीरता के बदले में खून मांग कर उसे मौत दे दी। जीं हां य वो सच्ची घटना है जिसके बारें में सुन कर आपके भी उड़ जायेगे होश जानें इस वीर की सच्ची प्रेम कहानी के बारे में..
आज हम एक ऐसे वीर सैनिक के बारे बात कर रहे है जिसकी कहानी में प्यार भी था दर्द भी था,सच्चाई भी, आसूँओं के साथ क़ुर्बानी भी थी लेकिन उसकी प्रेम कहानी को कोई समझ नही पाया।
एक ऐसा सिख सिपाही जिसने कई लोगों की जान लेने की जगह अपनी जान देकर सेना के शौर्य को बनाये रखा। जिसकी मौत के बाद सेना ने रणजीत को ‘किल्ड इन एक्शन’ का उचित सम्मान दिया। ये वो समय था जब,बुरहान वाणी की मौत के बाद से कश्मीर में लगातार ४ महीने से ज्यादा प्रोटेस्ट चले। लेकिन इसी साल की शुरुआत में एक बार और प्रोटेस्ट हुआ था। भारतीय सेना के एक जवान पर एक लड़की के रेप और एक नागरिक की हत्या का आरोप लगा था। सारे न्यूज़ चैनल पर ये खबर लागातार चल रही थी वीर सैनिक की मौत के बाद इस लड़की को सेना और पुलिस वालों ने अपने सरंक्षण में ले रखा था यहां तक कि उसके घर वालों को भी उससे दूर रखा जा रहा था।
जानें, क्या है इस बेबुनियाद आरोप के पीछे का सच
रणजीत सिंह एक सिख नौजवान थे, पंजाब के एक छोटे से गांव के थे। मात्र 17 साल की उम्र में सन 2000 में भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे। वो एक बेहतरीन खिलाडी होने के साथ बास्केट बाल में स्पेशलिस्ट थे। दो साल की सेवा के बाद वो गनर के तौर पर टैंक पर चलने के लिए अपॉइंट कर दिए गए।
कुछ ही दिनों में उनकी नियुक्ति राष्ट्रीय राइफल्स में हो गयी। राष्ट्रीय राइफल्स सेना का एक खास अंग है जो 1990 के बाद कश्मीर में इंसर्जेंसी से निपटने के लिए गठित हुआ था। इसमें 50% इन्फेंट्री से और बाकी 50% सेना के बाकी अंग से लिए जाते हैं। चूँकि रणजीत सिंह इन्फेंट्री से नहीं थे तो कश्मीर भेजे जाने से पहले उन्हें ट्रेनिंग के लिए कोर्प्स बैटल स्कूल भेजा गया। इस स्कूल में एक समय में 3 से 4 हजार तक सिपाही ट्रेनिंग लेते हैं और ये ट्रेनिंग चार हफ़्तों की होती है।
रणजीत सिंह इस ट्रेनिंग में बेस्ट स्टूडेंट जज किये गए थे
एक बेहद खतरनाक और कठिन ट्रेनिंग के बाद रणजीत सिंह ने कश्मीर में अपनी यूनिट के कंपनी ऑपरेटिंग बेस को ज्वाइन किया। उन्हें उम्मीद थी यहां आने के बाद की अब थोड़ी राहत मिलेगी। लेकिन यहाँ के नियम और अधिक सख्त थे। इस ट्रेनिंग के दौरान किसी बड़े ऑपरेशन या इमरजेंसी के समय सभी सिपाही फील्ड में एकत्रित ही रहते थे। और उनकी ड्यूटी बिना किसी रेस्ट के 24 से 72 घंटे तक की होती है। औसतन एक सिपाही को सिर्फ 5 से 6 घंटे सोने के मिलते हैं वो भी कभी कभी किस्तो में।
ऐसे समय में करीब 6 महीने तक रणजीत सिंह ने काम किया और छोटे बड़े ऑपरेशंस में हिस्सा लिया जिसमे 7 टेररिस्ट मारे गए। ऐसी यूनिट का एक खास काम और होता है कि लोकल लोगों से मिलकर वहां की सूचनाओं को इकठ्ठा करना। जिसके काम की भी जिम्मेदारी रणजीत सिंह को सौंपी गयी की वो लोगों से संपर्क बनाकर सूचनाएं इकट्ठी करें। इस तरह के सम्पर्क सैनिक मेडिकल टीम के साथ गांव गांव जाकर अपने संपर्क सूत्रों से मिलकर सूचनाएं इकट्ठी करते हैं। अब रणजीत सिंह ने भी मेडिकल टीम और सद्भावना प्रोजेक्ट की टीमो के साथ गांव गांव जाना शुरू किया और लोगों से संपर्क बनाने शुरू किये।
रणजीत जी ने अपने कई सोर्स डेवलप किये जिनकी सूचना के आधार पर सेना ने कई सक्सेसफुल ऑपरेशंस को अंजाम दिया। इसी तरह से गांव गांव सपर्क करने के दौरान इनकी मुलाकात इस लड़की से हुई। जिसको देखते ही ये एक दूसरे को दिल दे बैठे, और ऐसा होता भी क्यों नहीं ? एक सुदंर सिख नौजवान के सामने एक सुंदर कश्मीरी लड़की खड़ी हो तो आकर्षण के साथ प्यार होना तो लाजमी ही था। पर इस प्यार के बीच में दोनों का धर्म अलग था पर कहते है जब प्यार का खुमार चढ़ता है तो कोई धर्म जात बीच में नहीं आते है। रणजीत सिंह अपने सोने के समय में उससे घंटो फ़ोन पर बात करते और एक दूसरे से मिलने का बहाना खोजने लगे। जब रणजीत सिंह छुट्टियों पर अपने घर गए, तो इस बार उन्होंने अपनी प्रेमिका के लिए अंगूठी लेकर आये थे और कहा था कि वह जल्द उससे शादी कर के अपने घर ले जाएंगे। देखते ही देखते 6 महीने भी पूरे होने लगे।
इसी बीच रणजीत सिंह की दूसरी पोस्टिंग की डेट भी आ गयी। उसे कश्मीर छोड़कर जाना था। जाने से पहले उसने अपनी महबूबा को मिलने के लिए बुलाया। एक दिन बाद ही उसे नयी पोस्टिंग पर जाना था इसलिए यूनिट ने उसे कोई ड्यूटी नहीं दी गयी थी ताकि वो अपनी पैकिंग कर सके। लेकिन वहा के नियम इतने सख्त थे जिससे वो कैम्प छोड़कर बाहर नहीं जा सकता था।
रणजीत ने अपनी महबूबा को मिलने के लिये बुलाया था और वो बाहर जाने के मौका ही देख रहे थे तभी उन्होने देखा की एक पैट्रोलिंग टीम पैदल निकल रही थी। वो बिना किसी अधिकारी को बताये उस टीम के सबसे पीछे लगकर कैम्प से निकल गये। जब गांव के करीब पहुचें तो वो अपनी टीम से अलग हो गये और एक उजाड़ मकान के पास जा पहुंचे। रणजीत सेना की पोशाक में थे वो बी सभी हथियारों से लैस। इसी मकान में उसने अपनी प्रेयसी को बुलाया था। रणजीत जानता था वो कितना बड़ा रिस्क ले रहा है लेकिन प्यार के आगे आगे फिर कौन सोचता है।
रणजीत ने अपनी प्रेयसी से मिले और वादा किया की वो जल्द ही वापस आएगे और शादी करके उसे अपने गांव ले जायेगे। दोनों ने साथ रहने की कसमे खायी और फिर मिलने का वादा करके अपनी अपनी जगह को जाने के लिये बाहर निकले। लेकिन बाहर का नजारा ही कुछ और था। चारों और क्रोध में भरी भीड़ खड़ी थी। सभी के हाथ में हथियार थे। क्रोध से भरी भीड़ ने रणजीत को घेर लिया और उसे धक्का देने लगे मारने पर उतारू हो गए। वो चिल्ला रहे थे की रणजीत ने इस लड़की के साथ बलात्कार किया है।
रणजीत ने इस भीड़ को बार बार समझाने की कोशिश करने लगे। लेकिन गुस्से के सामने कोई उनकी बात सुनने को तैयार नही था। लड़की ने भी भीड़ से कहने की कोशिश की,लेकिन भीड़ गुस्से से पागल हो रणजीत की जान लेने पर उतारू थी। रणजीत ने उन्हें शांत कराने के लिये अपनी गन हाथ में लेकर उन्हें चेतावनी भी दी।
इस चेतावनी को सुनते ही एक आदमी ने हाथ में रखा कुल्हाड़ी से उनपर हमला कर दिया। और कोई चारा न देखकर रणजीत ने फायर किया। गोली सीधी उस आदमी को लगी और वो वहीँ गिरकर ढेर हो गया।
इस हादसे को देश भीड़ तितर-बितर होने लगी। रणजीत वहां से निकल गया। लेकिन मुश्किल से वो 50 गज दूरी पर ही पहुचा था की विपरीत दिशा से आती एक बड़ी भीड़ ने फिर उसे घेर लिया। रणजीत सड़क के बीच में सैकड़ो लोगों की भीड़ के बीच अकेला फस गया। भीड़ उस पर पत्थर फ़ेंक रही थी। भीड़ रणजीत की जान लेने पर आमादा हो चुकी थी
रणजीत के सामने मौत खड़ी थी। जिसका सामना करने के लिये उसके पास गन थी , ग्रेनेड थे। वो उस भीड़ पर ग्रेनेड फ़ेंक कर निकल सकते थे। फायर कर सकते थे। लेकिन तय था की कई लोग मारे जाते।
चारों ओर घिरे रणजीत ने भीड़ से परे अपनी निगाह फिराई। उसे अपनी प्रेमिका को एक टक देखा। जो लोगों की जकड में तड़फड़ा रही थी। दोनों की नजरें मिली। लड़की की आँखें आंसुओ से भरी थीं।
रणजीत ने अपनी गन उठाई और उसकी नाल अपने मस्तक से सटा दी। एक गोली चली और आग की तरह ये खबर कश्मीर में फ़ैल गई की एक सेना के जवान ने एक लड़की के साथ रेप कर एक नागरिक को मार गिराया। सेना के लिए ये खबर बड़े अपमान की थी। तुरंत एक्शन लेते हुए पुलिस ने कार्यवाही शुरू की। रणजीत के मोबाईल से उस लड़की की काल डिटेल मिली। पुलिस ने उस लड़की से पूछताछ शुरू की। लड़की ने सारी कहानी कह सुनाई। सेना और पुलिस ने कंगन नाम के इस गांव के बड़े बूढ़ो की बैठक बुलाई। जहाँ पर उस लड़की ने पूरी सच्चाई बयान की। और उसके बाद प्रोटेस्ट थमे।
सरकार ने मृत व्यक्ति के परिवार को मुआवजा दिया। उस लड़की को सेना ने अपने सरंक्षण में ले लिया और उसकी पढाई की आगे पूरी जिम्मेदारी ले ली। रणजीत वो वीर सिपाही जिसे लोगों नें मिलकर हत्या का नाम देना चाहा. लेकिन इस वीर सिपाही नें इसे भी आत्म हत्या का नाम देकर चला गया।
लेकिन सैन्य अधिकारी जानते थे की रणजीत ने अपनी अपनी शहादत क्यों दी थी
सेना ने रणजीत को किल्ड इन एक्शन माना जिसने कई लोगों की जान लेने की जगह अपनी जान देकर सेना के शौर्य को बनाये रखा। सेना ने रणजीत सिंह को उचित सम्मान दिया। मैं सलाम करती हूँ इस बहादुरी को। रणजीत सिंह को। भारतीय सेना को। ऐसा अद्भुत पराक्रम एक भारतीय सैनिक ही कर सकता है। एक ऐसी प्रेम कहानी जो दफ़न हो कर रह गयी।