जलसंकट: 2030 तक पानी की एक-एक बूंद के लिये तरसेंगे लोग

0
608

देश में पड़ रही भीषण गर्मी से जहां एक ओर लोग परेशान है तो दूसरी ओर जल संकट तेजी से अपना पैर पसार कर चरम पर पहुंच चुका है। आने वाले समय में इसका असर और भी अधिक गहराने वाला है।

जारी की गई एक रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि 2020 तक पीने वाले पानी की एक क बूद के लिये तरसेगें लोग। जल संकट का सबसे ज्यादा असर बड़े शहरों पर पड़ेगा।

पानी का गिरते स्तर का असर अब धीरे धीरे कुछ जगहों पर देखने को भी मिल रहा है। जिसको देखते हुये आकड़े ये बता रहे है कि पानी की इस त्राही से करीब 10 करोड़ लोग पानी की उपलब्धता से वंचित हो वाले है। जिसको देखते हुये आने वाले समय में साल 2030 तक देश के लगभग 40 फीसदी लोगों को पीने के पानी मिलना बंद हो जायेगा।

पानी

जानकारों के अनुसार 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी। जिसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा और देश की जीडीपी में 6 प्रतिशत की कमी देखी जाएगी। महत्वपूर्ण राज्यों में मानसून को लेकर अनिश्चितता भी बढ़ रही है। ऐसे में अब सरकर को इस पानी के संकट का हल जल्द से जल्द खोजना होगा।

तमिलनाडु में स्थिति होगी विकराल

बताया जा रहा है कि आने वाले समय में दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में स्थिति और भी विकराल हो सकती है। चेन्नई में आगामी दिनों में तीन नदियां, चार जल निकाय, पांच झील और छह जंगल पूरी तरह से सूख जाएंगे। राज्य के अन्य स्थानों पर भी यही स्थिति बन सकती है।

पानी

गिरता जा रहा भू-जल स्तर

इसके बाद असम और हिमाचल प्रदेश भी जल संकट से प्रभावित क्षेत्रों में आ गया है। क्योकि इस जगह पर कई वर्षों से देश के कुछ राज्यों में औसत से भी कम बारिश दर्ज की गई है, जबकि कई राज्य सूखे की स्थिति से गुजर रहे हैं। यही वजह है कि भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है।

2 लाख लोगों की मौत हर साल

बताया जाता है कि अब तक देश के करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं। जिसमें से करीब 2 लाख लोगों की मौत साफ पानी ना मिल पाने के कारण हो चुकी है। भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें स्थान पर है।

भीषण जलसंकट से गुजर रहा चेन्नई

इन दिनों तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सबसे ज्यादा जल संकट गरहाता हुआ दिखाई दे रहा है पानी भरने के लिए लगी लंबी-लंबी कतारें और लोगों के बीच होती लड़ाई किसी भी जगह देखी जा सकती है। इसलिये वहां के लोगों को पानी के कम इस्तेमाल करने की चेतावनी दी जा रही है। यह हाल है भारत के छठे सबसे बड़े शहर चेन्नई का है जहां इसी सप्ताह चार जलाशय सूख गए हैं। शहर की 40 लाख की आबादी के लिए सरकारी टैंकर ही एकमात्र आसरा है।

पानी

महाराष्ट्र में भी जलाशय सूखे

अब यही हाल महाराष्ट्र का है इस जगह के 4 बड़े जलाशयों में भी महज 2 फीसदी पानी बचा है। वहां के 6 बड़े जलाशयों का पानी इस्तेमाल करने के लायक ही नहीं बचा है। राज्य में मांग हो रही है कि सरकार जलाशयों को जोडऩे की योजना और इस पर कानून बनाए।

दिल्ली में 90 फीसदी जल स्तर गंभीर

दिल्ली में 90 फीसदी भूमिगत जल का स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। यहां के हर क्षेत्रों का जलस्तर दो मीटर तक प्रति वर्ष के हिसाब से तेजी से घट रहा है। दिल्ली का 15 प्रतिशत क्षेत्र नाजुक स्थिति में है। यही हाल देश के प्रमुख महानगरों का भी होता जा रहा है।

इन राज्यों में भी गहराता जलसंकट

छत्तीसगढ़, राजस्थान, गोवा, केरल, ओडिशा, बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, झारखंड, सिक्किम, असम, नागालैंड, उत्तराखंड और मेघालय। ये तीन रिपोर्ट कर रही गंभीर खतरों की ओर इशारा

यूएन की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2028 तक दिल्ली का बढ़ता जलसंकट सबसे ज्यादा आबादी वाले टोक्यो को पीछे छोड़ने वाला है। तब दिल्ली की जनसंख्या 3 करोड़ 72 लाख से अधिक होगी। ऐसी स्थिति में दिल्ली में पानी की कमी 40 फीसदी ज्यादा हो जाएगी।

वाटर एड की रिपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय संस्था वाटर एड की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक दुनिया के 21 शहरों में डे-जीरो जैसे हालात बन जाएंगे। 2040 तक भारत समेत 33 देश पानी के लिए तरसने लगेंगे, जबकि वर्ष 2050 तक दुनिया के 200 शहर खुद को डे-जीरो वाले हालात में पाएंगे।

यूएसजीएस की रिपोर्ट

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, दुनिया में 32 करोड़ ट्रिलियन गैलन पानी है। एक गैलन में 3.7 लीटर पानी होता है। दुनिया में मौजूद कुल पानी का केवल 2 प्रतिशत ही पीने लायक है। भारत में दुनिया के 18 फीसदी लोग रहते हैं। ऐसे में यहां स्थिति विकराल रूप ले सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here