गुजरात के साबरकांठा जिले से लगभग 22 किलोमीटर दूर एक गांव में काफी अनोखी शादी देखने को मिली। इस शादी में दूल्हा भी था, बैंड बाजे से सजी बारात भी थी, मेहमानों के साथ खाने-पीने का हर इंतज़ाम भी था, बस नही दिख रही थी कोई दुल्हन।
दरअसल बिन दुल्हन की हुई इस अनोखी शादी को एक पिता नें अपने दिव्यांग बेटे का शौक पूरा करने के लिए रची। जिसमें शादी-ब्याह की सभी रस्में पूरी की गईं। दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ाया गया। लेकिन सबकी नज़रे दुल्हन को तलाश रही थी जो वहां पर नही थी।
यह मामला गुजरात के चापलानार गांव में रहने वाले अजय का है, जिसे बचपन से ही एक शौक था कि उसकी भी शादी हो। बारात निकले और लोग नाचें। गावं घर की हर शादी में सम्मलित होने के बाद वो हमेशा अपने परिवार अपनी शादी के बारें में पूछा करता था कि मेरी शादी कब होगी। लेकिन पिता के पास इसका कोई जबाब ना होने के कारण उसकी बात को टाल दिया करते थे। लेकिन एक दिन पिता नें उसके अरमानों को पूरा करने की ठान ली।
इसके बाद बेटे की जिद व उसकी खुशियों के लिए उन्होनें एक साधारण सी शादी की तैयारियां शुरू कर दी। लोगों को शादी में सम्मलित करने के लिये आमंत्रण पत्र छपवाए, सभी रिश्तेदारों और मेहमानों को न्यौता देकर बुलाया गया। तय समय के मुताबिक सारे रीति रिवाज निभाते हुये घर से अजय को दूल्हे की तरह सजाकर घोड़ी पर बैठाया बरात निकाली गई।
दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर जब घर से निकलने को तैयार हुआ उस समय गावं के हर लोग खुशी से झूम उठे। बहन मामा ताऊ चाचा नें हर रस्में निभाई। बस कमी थी दुल्हन के साथ सात फेरे लेने की। लेकिन यह अनोखी शादी हर किसी के लिये एक मिसाल बन गई।
अजय के पिता ने बताया कि अजय लर्निंग डिसेबिलिटी का शिकार होने कारण मानसिक रूप से कमजोर था। और अजय के मां की मौत बहुत पहले ही हो चुकी है। उसकी हर इच्छाओं को पूरा करना बस में नही था। इसलिये हम उसके लिए लड़की ढूंढने में असमर्थ थे।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि बरोत परिवार ने इस शादी में दो लाख से ज्यादा रुपये खर्च किये। ताकि लंबे समय से देख रहे अजय की शादी के सपने को पूरा किया जा सके। ”जो हर किसी के लिये एक बड़ी सीख है।“