बीमार होने पर अक्सर डॉक्टर कुछ दवाइयों के साथ कैप्सूल देते है। आपने भी बहुत से कैप्सूल खाएं होंगे, पर क्या आप जानते हैं कि वे किस पदार्थ से बनते हैं। इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल कैप्सूल बनाने वाली कंपनियां भी अपने पैकेट पर इस बारे में कोई जानकारी नहीं देते हैं यानि इस तथ्य को छुपा कर रखा जाता है। हाल ही में यह जानकारी उस समय सार्वजानिक हुई, जब केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय से बात की। अभी तक बहुत बड़ी संख्या में लोग सिर्फ यही मानते हैं कि कैप्सूल का खोल प्लास्टिक से बना होता है पर सच कुछ और ही है। आइये अब आपको विस्तार से बताते हैं इस बारे में।
जिलेटिन से बनते हैं कैप्सूल
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कैप्सूल का खोल जिलेटिन नामक पदार्थ से बना होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह एक पशु उत्पाद है अर्थात इस पदार्थ को पशुओं के मृत शरीर से निकाला जाता है। इसके अलावा इसको कोलेजन से बनाया जाता है। आपको बता दें कि जिलेटिन एक रेशेदार पदार्थ है जो की मृत पशुओं जैसे गाय, भैस आदि के काण्डरा, हड्डियों उपास्थि में होता है। इन स्थानों से ही इस पदार्थ से निकाला जाता है। इसी कारण से इन्हें बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां इनके डिब्बे पर इस बात को नहीं लिखती हैं कि उन्होंने कैप्सूल के खोल में जिलेटिन का प्रयोग किया है या नहीं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज करीब 98 प्रतिशत कंपनियां कैप्सूल के खोल को बनाने के लिए जिलेटिन का ही प्रयोग कर रही हैं। जिलेटिन को पशुओं की हड्डियों, ऊतकों तथा खाल को उबाल कर निकाला जाता है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय से कैप्सूलों में जिलेटिन के उपयोग करने पर पाबंदी लगान को कहा है तथा सुझाव दिया है कि कंपनियां पेड़ों के पत्तों का उपयोग कर कैप्सूल को निर्मित करें।