आजकल टीवी पर किसी को भी चाणक्य की उपाधि दे दी जाती हैं। अब जब यह बात असली वाले चाणक्य के पास पहुंची तो उनका आग बबूला होना बनता ही था। आज के समय में कोई भी किसी को यूं ही चाणक्य की उपाधि से विभूषित कर देता है। वर्तमान में भारतीय मीडिया इस मामले में सबसे ज्यादा आगे हैं। वे कभी अमित शाह को चाणक्य बता देते हैं, तो कभी प्रशांत किशोर को, तो कभी नितीश कुमार को। कुछ वर्ष पहले ये लोग ही ठाकुर अमर सिंह को चाणक्य कहते फिरते थे। जब यह बात स्वर्ग में असली वाले चाणक्य के पास जा पहुंची, तो वो इस बात को जानकर आग बबूला हो रहें हैं। उन्होंने देर न करते हुए अपने वकील धनपद राव से एक नोटिस लिखवा कर इन सभी नेताओं के घर भिजवाया है और अपने नाम को यूज करने के एवज में रॉयल्टी की मांग की है।
हमारे रिपोर्टर पीके गिरपड़े ने जब असली चाणक्य से इस मामले पर बात की तब उन्होंने कहा- “देखिए मैं वैसे तो खबरों से दूर ही रहता हूं, पर मेरे विश्वसनीय सूत्रों ने मुझको बताया है कि भारतवर्ष के कुटिल राजनैतिक दल मेरे नाम का उपयोग जम कर रहें हैं। इस बात को सुनने के बाद ही मुझे क्रोध आया। यदि पृथ्वीवासी किसी एकाद व्यक्ति को चाणक्य कहते तो मैं सह भी लेता, पर वहां तो हर राज्य में चार-चार चाणक्य देखें जा रहें हैं। यूपी का चाणक्य अलग, बिहार का अलग, बंगाल का अलग, विदेश का अलग और देश का अलग। अब आप ही बताएं कि मेरी अंतरात्मा कैसे इसको सहन करे।”
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लंबी सांस लेकर फिर से असली चाणक्य ने अपनी वाणी का विस्तार करते हुए आगे कहा – “मैंने राजनैतिक दलों के साथ-साथ इन टीवी चैनल वालों को भी नोटिस भिजवाएं हैं। असल में यही लोग रोज-रोज किसी न किसी को मेरे नाम की उपाधि से विभूषित कर देते हैं और इतना करने के बाद मुझे जरा भी क्रेडिट नहीं देते। जो भी राजनैतिक दल विजयी होता है उसी के किसी सदस्य को ये लोग चाणक्य घोषित कर देते हैं। मेरी जन्मभूमि बिहार को ही ले लो, वहां नितीश जीते तो उनको चाणक्य घोषित कर दिया गया और बाद में जब वे स्थांतरण कर बीजेपी में आ गए, तो अमित शाह को चाणक्य बना दिया। ये क्या बात हुई। हद है मेरा नाम न हो गया मंदिर का घंटा हो गया, जिसने चाहा बजा डाला।”
इधर नितीश कुमार और अमित शाह ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि उनको असली वाले चाणक्य का नोटिस मिल गया है और उन्होंने जल्द ही इसका जवाब देने को कहा है।
विशेष नोट- इस तरह के आलेख से हमारा उद्देश्य केवल आपका मनोरंजन करना है। इसमें मौजूद नाम, संस्था और राजनीतिक पार्टियों की छवि को धूमिल करना हमारा उद्देश्य नहीं है। साथ ही इसमें बताया गया घटनाक्रम मात्र काल्पनिक है। अगर इससे कोई आहत होता है तो हमें बेहद खेद हैं।