माना जाता है कि जन्म और मौत का समय ईश्वर ही निर्धारित करते हैं, पर भारत के वर्तमान समय में ऐसा नहीं हो रहा है और अब बच्चे का जन्म माता-पिता के दिए हुए दिन और मुहूर्त के हिसाब से होने लगा है। जी हां, हालांकि यह आपको कुछ अजीब लगेगा, पर यह सच है अपने देश में अब बच्चे का जन्म माता-पिता द्वारा दिए समय के आधार पर किया जाने लगा है। आज हम आपको इस बारे में ही जानकारी दे रहें हैं।
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आपको बता दें कि वर्तमान में माता पिता अपने बच्चे का जन्म अपने पसंदीदा समय को ध्यान में रखकर “सीजर डिलीवरी” के माध्यम से करा रहें हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाएं भी डिलीवरी के दर्द से बचने के लिए सीजर डिलीवरी का सहारा ले रही हैं। आपको बता दें कि सरकारी अस्पतालों में सीजर डिलीवरी जैसे कार्य के लिए डॉक्टर लोग बचते हैं इसलिए अब लोग आमतौर पर निजी अस्पतालों की ओर रूख करने लगे हैं और सीजर डिलीवरी के जरिये अपने मन पसंद समय पर ही बच्चे का जन्म करा रहें हैं। वर्तमान में गायनेकोलॉजिस्ट का कहना भी यही है कि बच्चे के जन्म को लेकर उनके माता-पिता शुभ दिन तथा समय का ध्यान रख रहें हैं। बच्चे के माता-पिता दिन और शुभ समय को लेकर पहले पंडितों से चर्चा करते हैं और उसके बाद उस आधार पर डॉक्टर से बातचीत करते हैं। सीजर डिलीवरी कराने का एक मुख्य कारण डॉक्टर लोग यह भी मान रहें हैं कि महिलाएं डिलीवरी के दर्द से बचना चाहती हैं। आपको बता दें कि सरकारी अस्पतालों से ज्यादा सीजर डिलीवरी के मामले निजी अस्पतालों में देखने को मिल रहें हैं। वर्तमान में सरकारी अस्पतालों से 60 प्रतिशत ज्यादा मामले निजी अस्पतालों से सामने आ रहें हैं। विश्व योग दिवस पर बच्ची को जन्म देने वाली गीता सोनी नामक महिला के पति पंकज ने बताया कि डॉक्टर ने 20 से 23 के बीच का समय दिया था और इस दौरान विश्व योग दिवस का दिन भी बीच में था इसलिए बच्ची के जन्म के लिए मैंने डॉक्टर को योग दिवस वाले दिन को ही कह दिया था। इस प्रकार से लोग अब अपने मनचाहे दिन और समय को देख कर डिलीवरी करा रहें हैं।