चीन के बारे में आप सब जानते ही हैं। वह सामने भले ही भारत से अच्छा व्यवहार दर्शाता हो, पर पीछे वह भारत की जमीनों को कब्जाने के बारे में लगातार योजनाएं बनाता ही रहता है। कुछ समय पहले ही चीन ने भारत की कई अलग-अलग जगहों को कब्जाने के लिए उन स्थानों को अपना हिस्सा बताया था, पर हाल ही में सभी लोग उस समय हैरान रह गए जब चीन ने भारत के कानपुर को अपने देश का हिस्सा बताया।
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असल में हुआ यह था कि चीन के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया था, जिसमें बहुत से देशों के पत्रकारों को बुलाया गया था। इस प्रेस कांफ्रेंस में चीन के विदेश प्रवक्ता “भांग शुंग लू”ने भारत के कानपुर को चीन का अभिन्न अंग बताया। इस बात को सुनकर सभी पत्रकार स्तम्भ रह गए। इस दौरान ही हमारे विशेष पत्रकार “पीके गिरपड़े” ने चीनी प्रवक्ता भांग शुंग लू से पूछा कि – आखिर आपके पास क्या सबूत हैं कि कानपुर चीन का अंग है।
इस सवाल पर भांग शुंग लू भड़क गए और उन्होंने कई पुराने पेपर निकाल कर सामने रखते हुए कहा कि – ये देखिये, ये है असल इतिहास। ह्वेंन सांग का नाम तो आपने पढ़ा ही होगा। ये उसकी की पुरानी डायरी के पन्ने हैं और इनके अनुसार ह्वेंन सांग ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कानपुर को खरीद लिया था और उसका नाम “कमलांगपसंदआंग थू” रखा था। इसके बाद इस स्थान पर चीनी लोग रहते थे, पर जब ह्वेंन सांग मर गए तो भारत के वाड्रा वंश के एक दुष्ट राजा “राबर्ट शाह गुप्त” ने इस जमीन पर आक्रमण कर अपना कब्जा कर लिया और भारत में मिला लिया।
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भांग शुंग लू ने आगे बताते हुए कहा कि – असल में देखा जाए तो चीन और कानपुर में बहुत सी समानताएं हैं। जैसे चीन के झंडे का रंग लाल है तो कानपुरिया पान मसाले के पीक का रंग भी लाल होता है। चीन में प्रदूषण ज्यादा है तो कानपुर में भी सांस लेना मुश्किल है। अब ससुर के नाती इससे ज्यादा का प्रूव चाही बे तुम्हें – भांग शुंग लू ने कानपुरिया भाषा में हांक भरते हुए कहा।
खैर, प्रेस कांफ्रेंस खत्म होने के बाद में पीके गिरपडे भारत आये और इस बारे में अभिनेता अजय देवगन से उनके विचार पूछें। अजय देवगन ने अपने मुंह में “विमल” डालते हुए अपनी केसरिया जुबां से कहा – चीन असल में भारत की फिल्मों के ठाकुर की तरह हो गया है, जो लोगों की जमीन हड़पने के सपने देखता रहता है, पर कानपुर अपने ही देश का अंग है और रहेगा।
विशेष नोट- इस तरह के आलेख से हमारा उद्देश्य केवल आपका मंनोरंजन करना है। इसमें मौजूद नाम और राजनीतिक पार्टियों की छवि को धूमिल करना हमारा उद्देश्य नहीं है। साथ ही इसमें बताया गया घटनाक्रम मात्र काल्पनिक है। अगर इससे कोई आहत होता है तो हमें बेहद खेद हैं।