हमारे देश के राज्य मध्य प्रदेश के निमांड अंचल में लगने वाले वर्ल्ड फेमस भगोरिया मेले की शुरूआत हो चुकी है। यह मेला होली से ठीक एक हफ्ते पहले शुरू हो जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये मेला विश्वभर में काफी प्रसिद्ध है। हालांकि ये भील और भिलाला आदिवासियों की प्यार और शादी से जुड़ा एक ट्रेडिश्नल मेला है। जिसमें आदिवासी लड़के अपने मनपसंद हमसफर की तलाश करने आते हैं।
आपको बता दें कि ये मेला होली से एक हफ्ते पहले निमाड़ इलाके के झाबुआ, बडवानी, धार और अलिराजपुर में लगता है। जहां होली के मौके पर इसे भगोरिया पर्व के रूप में मनाया जाता है। साथ ही ये होली के दिन समाप्त हो जाता है। इस मेले की एक परंपरा है जिसको सुनकर आपको अचंभा होगा कि यहां अपने प्रेम का इजहार पान खिलाकर किया जाता है। ढोल और मांदल की थाप पर सज-धज कर युवा इस मेले में आते हैं। वहीं आदिवासी लड़कियां भी सज-धजकर इस मेले में पहुंचती हैं। जिसके बाद लड़के इस मेले में अपनी मनपसंद हमसफर की तलाश करते हैं और तलाश पूरी हो जाने पर उस लड़की को पान खिलाते हैं। साथ ही इसके बाद लड़का और लड़की इस मेले से भाग जाते हैं। जिससे इस मेले को ‘भगोरिया’ मेला कहा जाता है। फिर जब लड़का और लड़की को भागे हुए कुछ दिन बीत जाते हैं तो आदिवासी समाज इनको पति-पत्नी के रूप में मान्यता दे देता है।
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वैसे बता दें कि इस मेले को जिसे यहां के लोग पर्व के रूप में मनाते हैं इसे रबी की फसल की खेती पूरी हो जाने से भी जोड़कर देखा जाता है। इस मेले में जहां युवाओं की अलग-अलग टोलियां सुबह से शाम तक बांसुरी, ढोल, मांदल बजाते हुए मेले में घूमती और डांस करती हैं, वहीं मेले में आदिवासी लड़कियां अपने हाथों में टैटू तक गुदवाती हैं। नशे के लिए आदिवासी इस मेले में ताड़ी पीते हैं। हालांकि वक्त बदलने के साथ-साथ इस मेले के रंग ढंग भी बदल गये हैं। आदिवासी लड़के जहां अब पारंपरिक कपड़ों की जगह इस मेले में मॉर्डन कपड़े पहने दिखते हैं, वहीं मेले में गुजरात और राजस्थान से आए ग्रामीण लोगों में भी इस मेले को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिलता है।