अमृतसर की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से एक माना जाने वाला सिखों का पावन तीर्थ स्थल गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। यह देखने में न सिर्फ खूबसूरत और आकर्षक हैं बल्कि इससे जुड़ा इतिहास इसकी लोकप्रियता को और भी बड़ा देता हैं तो चलिए आज हम आपको इसके इतिहास से जुड़े कुछ कम चर्चित तथ्यों के बारे में बताते हैं जिन्हें जानने के बाद यकीनन आप भी इस पुनीत स्थल के दर्शन के लिए जाना चाहोगे।
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गोल्डन टेम्पल (स्वर्ण मंदिर) से जुड़ी कुछ ख़ास बातें
1. अगर आपको नहीं तो बता दें कि सिखों के इस पवन स्थल के निर्माण हेतु जमीन मुस्लिम शासक अकबर ने दान में दी थी।
2. इस टेम्पल की नींव साईं मियां मीर जी ने रखी थी जोकि एक मुस्लिम संत थे। संत साईं मिया मीर जी का शुरू से सिखों प्रति झुकाव था। इतना ही नहीं वह सिखों के पांचवें श्री गुरु अर्जन देव जी के मित्र भी थे।
जब हरमंदिर साहिब के निर्माण के बात चली तो निर्णय लिया गया था कि इस स्थल पर सभी धर्मों के लोग आ सकेंगे। जिसके बाद दिसंबर 1588 में गुरुद्वारे की नींव राखी गई थी।
3. महाराजा रंजीत सिंह ने स्वर्ण मंदिर निर्माण कार्य के लगभग 2 शताब्दी बाद दीवारों पर सोना लगवाया था।
4. प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश सरकार ने भी अपनी जीत के लिए यहां पर अखंड पाठ करवाया था।
5. स्वर्ण मंदिर पर मुस्लिम शासक अहमद शाह अब्दाली के सेनापति जहां खान ने एक बार हमला किया था जिसके जवाब में समूह सिख कौम कड़ी हो गई थी और उन्होंने पूरी मुस्लिम सेना को खत्म कर दिया था।
6. इस मंदिर में सभी धर्म के लोग आते हैं। इस मंदिर में बनाये गए चार दरवाज़े चारों धर्मों की अखंड एकता के रूप माने जाते हैं।
7. यहां दुनिया का सबसे बड़ा लंगर भी लगाया जाता हैं। जहाँ रोजाना लगभग 70000 लोग मुफ्त खाना खाते हैं और यह लंगर दिन रात चलता हैं।
8. बताया जाता हैं कि एक बार पुरे भारत पर हकूमत करने वाले मुग़ल बादशाह अकबर ने भी गुरु घर में बैठ कर आम लोगो की तरह लंगर प्रसाद खाया था।
9. आपको बता दें कि यहाँ आने वाले पर्यटकों में से 35 प्रतिशत लोग सिख धर्म के नहीं बल्कि अन्य धर्मों के होते हैं।
10. लोगों की मान्यता हैं कि सरोवर के बीचों बीच से जो रास्ता निकल रहा हैं वह ये दर्शाता हैं कि मौत के बाद भी आपकी एक यात्रा होती हैं।