10वीं शताब्दी के ढोढरेपाल देवालय में उपासना करने से लोगों को मिलता है संतान सुख

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ढोढरेपाल देवालय

 

ऐसे तो अपने देश में बहुत से मंदिर हैं, पर इनमें से कुछ मंदिर अपने चमत्कारों और मान्यताओं को लेकर बहुत प्रसिद्ध है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में यहां बता रहें हैं। जी हां, आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बता रहें हैं, वहां जाकर यदि कोई अनुष्ठान करता है, तो उसको अवश्य ही संतान सुख प्राप्त होती है। आपको हम बता दें कि यह मंदिर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर-गीदम मार्ग पर स्थित है। डिलमिली से यह मंदिर करीब 3 किमी दूर दक्षिण दिशा में नाला किनारे स्थित हैं। इस मंदिर को “ढोढरेपाल देवालय” के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर 2 मंदिर हैं जो कि 10वीं शताब्दी से खड़े हैं। ढोढरेपाल देवालय पर आप मण्डवा ग्राम से होकर भी पहुंच सकते हैं। ये मंदिर आज भी 10वीं शताब्दी की अपनी पुरातात्विक समृद्धता को बताते हैं। कहा जाता है कि ये तीन मंदिर थे। ये तीनों मंदिर ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश यानि भगवान शिव के थे। कालांतर में भगवान ब्रह्मा का मंदिर ढह गया है, पर अभी भी भगवान विष्णु तथा शिव का मंदिर अपने स्थान पर खड़ा है।
वर्तमान में इन दोनों मंदिरों का संरक्षण छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग के द्वारा किया जा रहा है। प्रति वर्ष इस स्थान पर माघ माह की पूर्णिमा के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है तथा अनुष्ठान भी किया जाता है। इस अवसर पर आस-पास के सभी 10 गावों के लोगों को यहां पर आमंत्रित किया जाता है। इन मंदिरों में किसी प्रकार की बलि नहीं दी जाती है। ढोढरेपाल देवालय के संबंध में ढोढरेपाल के लोग यह मानते हैं कि इस ब्रह्मांड को संचालित करने वाले इन तीनों देवताओं के लिए ये तीनों मंदिर भगवान विश्वकर्मा ने खुद ही बनाये थे। जो लोग यहां संतान की इच्छा लेकर आते हैं, वे लोग मंदिर के पास स्थित पानी के एक तलाब में स्नान कर इन मंदिरों में अनुष्ठान करते हैं। माना जाता है कि यहां पर सभी लोगों की संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है।

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