खौफनाक…शिक्षा के लिए रोजाना मौत के मुंह से होकर गुजरता ये बचपन है बड़ा बलवान

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दुनियाभर में तरक्की की नई-नई इबारत लिखी जा रही है लेकिन अभी भी दुनिया के कई इलाकों में शिक्षा के लिए नौनिहालों को आज भी जिन हालातों से गुजरना पड़ रहा है वह सब को शर्मसार करने वाला है, बच्चे जब घर से स्कूल के लिए निकलते हैं तो मां-बाप का कलेजा धड़कने लगता है स्कूल जाने से लेकर घर लौटने तक परिजनों का चिंता से बुरा हाल रहता है। कई जगह तो ऐसी हैं जहां सड़क तो दूर समतल जमीन भी नहीं होती है, पानी को पार कर बच्चे स्कूल तक पहुंचते हैं और अगर रास्ते हैं भी तो ऐसे कि जिन्हे देख कर किसी का भी पसीना छूट सकता है।

ways_1464353510Image Source :http://i9.dainikbhaskar.com/

भारत की बात करने से पहले आपको दिखाते हैं चीन का नज़ारा। चीन के गुलू गांव में एक मात्र प्राइमरी स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को पहाड़ी रास्ते से होकर गहरी खाई के ऊपर से टूटे रस्सी के पुल का सहारा लेना पड़ता है इस पर भी हर दिन बच्चों को स्कूल तक पहुंचने में 5 घंटे का वक्त लगता है। ये दुनिया का सबसे रिमोट एरिया माना गया है।

इंडोनेशिया में भी हालात कमतर नहीं हैं। यहां के संघियांग तनजुंग में भी हालात ऐसे ही हैं। चिबेरंग नदी के दूसरे किनारे बसे गांव में स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चों को नदी पर टूटे खतरनाक पुल को पार कर स्कूल जाना पड़ता है। इस पुल को पार करने के बाद करीब आधे घंटे पैदल भी चलना पड़ता है ।

कोलंबिया के बोगोटा से 40 लगभग मील की दूरी पर आबाद एक ऐसा गांव है जो  शहर से कटा हुआ है। यहां अमेजन की सबसे बड़ी नदी रियो नेग्रो से 1300 फीट ऊंचाई पर स्टील केबिल लगा है, जिसके जरिए घाटी को पार कर लोग गांव तक पहुंचते हैं। ये स्टील की तार करीब 800 मीटर तक लगी है जिसके सहारे लटक कर लोग अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं।

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फिलीपीन्स के रीजल प्रॉविन्स के प्राइमरी स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चे टायर ट्यूब और बांस से बनी नाव का सहारा लेते हैं। इसके बाद उन्हें एक घंटे पैदल भी चलना पड़ता है। स्थानीय लोग काफी समय से सरकार से यहां झूला पुल की मांग कर रहे हैं।

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