ऊंची और स्वछंद उड़ान के लिए हमेशा से ही पक्षियों की मिसाल दी जाती है। कानून और किसी सीमा से परे ये पक्षी अभी तक तो अपनी मर्जी से ही उड़ते आए हैं, लेकिन अब इनकी उड़ानों को भी बांधने के लिए समाज में बहस शुरू हो गई है। पक्षियों के आकाश में उड़ने वाले फैसले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट से जवाब मांगा है। साथ ही याचिकाकार्ता को भी नोटिस जारी किया है।
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दरअसल वर्ष 2011 में गुजरात सरकार ने एक याचिका पर गौर करते हुए यह आदेश सुनाया था कि आसमान में उड़ना पक्षियों का मौलिक अधिकार है और उन्हें पिंजरे में बंद नहीं किया जा सकता। इसके बाद गुजरात के हाई कोर्ट ने भी आदेश दिया था कि पक्षियों के बेचने वालों के पिंजरों से भी पक्षियों को आजाद कर दिया जाए। इस आदेश के बाद पेट लवर्स एसोसिएशन के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ याचिका डाली थी। जिस पर सुनवाई के दौरान यचिकाकर्ता की ओर से उनके वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि कानून के मुताबिक पहले से ही तय है कि जंगली श्रेणी के पक्षियों को घर में नहीं पाला जा सकता है।
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वहीं कई ऐसे भी पक्षी हैं जिन्हें लोग अपने घर के सदस्य के रूप में ही रखते हैं। इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एच एल दत्तू की बेंच ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब की मांग की है। इसके अलावा याचिका कर्ता को भी नोटिस जारी किया गया है।