संडे की छुट्टी का मजा प्रत्येक व्यक्ति लेता है क्योंकि यह ही एक दिन होता है जब किसी भी व्यक्ति को पूरे हफ्ते में से एक दिन की छुट्टी मिलती है। पर क्या आपने कभी सोचा है की यह छुट्टी संडे को ही क्यों रखी गई थी, आखिर क्या कारण थे की इस छुट्टी का दिन संडे ही रख गया था? हालांकि इसके पीछे कई कारण है और लगभग सभी कारण धार्मिक ही हैं। धार्मिक मान्यताओं के कारण ही इस छुट्टी ने संडे का स्थान ले लिया है। देखा जाए तो हफ्ते में एक दिन की छुट्टी का प्रावधान लगभग हर एक प्रमुख धर्म में होता है ताकि व्यक्ति कम से कम हफ्ते में एक दिन अपने ईश्वर की उपासना जरूर करें।
जिस प्रकार से इस्लाम में शुक्रवार का दिन इबादत का दिन होता है उसी प्रकार से रोमन, कैथलिक और प्रोटेस्टेंट में रविवार के दिन को ईश्वर का दिन माना जाता है। ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार ईश्वर ने धरती को 6 दिन में बनाया और 7 वें दिन यानी संडे के दिन आराम किया, इसलिए इसको उपासना का दिन कहा जाता है और इस दिन की छुट्टी मनाई जाती है। जानकारी के लिए आपको यह भी बता दें की अंग्रेजों ने 1843 को संडे की छुट्टी का प्रावधान सबसे पहले निकाला था।
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1844 में गवर्नर जनरल ने रविवार को स्कूलों की छुट्टी के रूप में भी घोषित किया था, ताकि बच्चें अपने घर पर कुछ रचनात्मक कार्य भी कर सकें, यह कार्य मुंबई से शुरू किया गया था।
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हालांकि जम्मू के एक व्यक्ति रमन शर्मा, जो की आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं ने PMO से संडे की छुट्टी के बारे में पूछा था। इसके बाद में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से उनके पास में जबाब आया की “JCA सेक्शन में आधिकारिक रूप से छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं है”।