आपने अक्सर अपने आस पास के लोगों को घोड़ों से मर्दों की तुलना करते हुए सुना होगा। लेकिन आपको यह पता नहीं होगा कि ऐसा क्यों कहा जाता है। दरअसल घोड़े की ताकत, चपलता और दर्द को सहने की क्षमता इसके मुख्य कारण है।
आपको शायद इस बात का नहीं पता होगा कि घोड़े में पुरुषों के मुकाबले दर्द सहने की क्षमता तीन गुना अधिक होती है, इसलिए घोड़े की इन मुख्य विशेषता के कारण ही मर्दों को घोड़ा बनने की सलाह दी जाती है। जहां तक बात घोड़े की एनर्जी की हो तो वह आसानी से बिना थके 23 घंटे तक वजन उठा सकता है। घोड़े की यह खूबी हर कोई घर के पुरुष में देखना चाहता है।
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घोड़े की खासियत यह है कि वह खड़े होकर ही अपनी नींद पूरी कर लेता है, लेकिन अगर घोड़ा बैठ जाएं तो समझ लीजिए कि वह काफी बीमार है। ठीक इसी तरह पुरुषों से भी उम्मीद की जाती है कि वह भी ज्यादा से ज्यादा काम करें। इतना ही नहीं घोड़े की यौन शक्ति दुनिया को अंचभित करती है। ऐसा कहा जाता है कि घोड़ों की संतानें कभी भी बांझ नहीं रहती है। इन वजहों से ही मर्दों को घोड़ा बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।