हिंदी सिनेमाजगत के कॉमेडी किंग कादर खान को क्यो आना पड़ा काबुल से ह‍िंदुस्तान जानें इससे जुड़ा इमोशनल सच!

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कादर खान

हिंदी सिनेमाजगत में अपनी खास कॉमेडी से लोगों को हंसाने वाले कादर खान अब हमारे बीच नहीं रहे।काफी दिनों से बीमार रहे कादर खान नें आखिरकार साल के खत्म होने के अतिंम समय में ही लोगों से अंतिम विदाई ले ली। और इस दुनिया से हमेशा के लिये खामोशी हो गए।

कादर खान फिल्मी जगत का ऐसा हीरा था जिसने भले ही भारत की धरती पर जन्म ना लिया हो, पर इस धरती से जुडकर उन्होनें अपने अभिनय के दम से सभी के दिलों पर अपनी खास पहचान बना ली थी। इन्होनें फिल्मो में एक्टिंग ही नही की बल्कि कई अभिनेताओं के लिए डायलॉग भी लिखे। तो चलिए आज आपको कादर खान की जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से के बारे में बताते हैं।

कादर खान

बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार कादर खान नें कनाडा के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद अपनी अंतिम सांस ली। ये बात बहुत कम लोग जानते है कि कादर खान भारत के नही बल्कि अफगान‍िस्तान के काबुल के थे यही पर इनका जन्म हुआ था लेकिन काबुल में जन्मा यह शख्स ह‍िंदुस्तान कैसे और क्यों आया? यह सवाल हर किसी के मन में आता है। लेकिन इस सवाल के पीछे एक द‍िलचस्प कहानी है जिसके बारें में जानकर आप भी हो जायेगें हैरान।

कादर खान का परिवार काबुल में रहने वाले पठान खानदान से था। उनके परिवार में मां बाप के साथ तीन भाई थे लेकिन उनकी मौत तकरीबन 8 साल की उम्र तक आते ही हो गई थी तीनो भाइयों की मौत के बाद अब घर का सबसे आखिरी चिराग वो ही बचे थे। जिनके खोने का डर उनकी मां को हमेशा लगा रहता था। जिसके बाद उन्होनें काबूल को छोड़ देने का फैसला किया और पूरा परिवार काबूल से ह‍िंदुस्तान, मुंबई आ गया”

कादर खान

मुबंई आने के बाद उनका ठिकाना बना कमाठीपुरा। कमाठीपुरा, मुंबई का वो इलाका था जहां सिर्फ झोपड़पट्टी के लोग ही रहते थे। जहां की हालत बद, से कहीं बदतर थे। कादर खान ने झोपड़पट्टी वाले इसाके में रहकर क्लास वन से लेकर ग्रेजुएशन तक का एक लंबा सफर तय किया। मां की चाहत थी कि उनका बेटा खूब पढ़े, कादर खान भी पढ़ाई में काफी तेज थे। लेकिन उन्हें घर के साथ मां की हालत देखकर काफी तरस आता था।

एक दिन ऐसा भी आया जब उनके पिता नें उनका साथ छोड़ दिया और मां से तलाक लेकर चले गए। अब घर की पूरी जिम्मेदारी अकेली मां पर आ गई। घर के बिगड़ते हालात को देखते हुए स्लम एर‍िया में रहने वालों ने व मां के पर‍िवार वालों ने उनकी दूसरी शादी करा दी। उन्हें लगा कि शादी के बाद मेरा और मां दोनों का भव‍िष्य सुरक्ष‍ित हो जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”

“जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो घर के हालात को देख नौकरी करने का फैसला बनाया। घर के पास की फैक्टरी में 3 रुपये द‍िन के ह‍िसाब से लोगों को काम करते देखता था यही सोच एक द‍िन नौकरी करने निकला, लेकिन पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और रोका। मैं पीछे मुड़ा तो देखा मेरी मां खड़ी थीं”

“उन्होंने मुझे कहा, आज यदि तुम फैक्टरी में काम करने निकल गए, तो हमेशा ये 3 रुपया ही कमाते रहोगे। यदि तुम घर की गरीबी हटाना चाहते हो तो बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। मां की कहे ये शब्द मेरे अंदर इस तरह समा गए कि मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करने का मन बना लिया।  स‍िव‍िल इंजीन‍ियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद एक कॉलेज में प्रोफेसर बन गया। वंहा के बच्चों को पढ़ाने के बाद बचे समय में ड्रामा भी लिखने लगा। मेरे लिखे ड्रामे अब इस तरह मशहूर होने लगे कि दूसरे कॉलेज से लोग मेरे ऑटोग्राफ लेने आने लगे।”

कादर खान

कादर खान ने बताया कि सबसे पहली सफलता उन्हे उस दौरान मिली जब उनका “पहला ड्रामा “लोकल ट्रेन” ऑल इंड‍िया ड्रामा कॉम्पटीशन में शामिल हुआ। जिसमें उन्हे बेस्ट डायरेक्ट, एक्टर, राइटर के सारे अवॉर्ड मिले। इसके साथ ही इस ड्रामा के ल‍िए मुझे 1500 रुपये की ईनाम राशि मिली। इतनी बड़ी राशि को उन्होने अपनी जिंदगी में पहली बार एक साथ देखा था। इसी प्ले को देखने के लिए बॉलीवुड के कई बड़े द‍िग्गज भी पहुंचे थे जिसे देखने के बाद उन्हें फिल्म जवानी-दीवानी में काम करने का पहला मौका मिल गया”

इसके बाद कादर खान ने अपनी पिछली जिंदगी को कभी मुड़कर नहीं देखा। और आसमान की उचाइयों को छूते गए। आज के समय में वो एक ऐसा सितारा बन चुके थे। बेशक वो दुन‍िया को अलव‍िदा कह गए, लेकिन उनकी इस चमक लोगों को हमेशा रोशन करती रहेगी। वो सभी के दिलों में हमेशा रहेगें।

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